पाम तेल आयात पर सरकार बढ़ा सकती है टैक्स, किसानों की होगी मदद
मुंबई- केंद्र सरकार पाम तेल के आयात पर शुल्क को बढ़ा सकती है। सरकारी सूत्रों और कारोबारियों की ओर से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार इस बात पर विचार कर रही है। दुनिया के सबसे बड़े वनस्पति तेल आयातक भारत तिलहन की कम कीमतों से जुझ रहे अपने लाखों किसानों की मदद करने के प्रयासों के तहत यह कदम उठाने जा रहा है। इस साल की शुरुआत में भारत ने कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए कच्चे पाम तेल (सीपीओ) पर मूल आयात को समाप्त कर दिया था। हालांकि, सीपीओ के आयात पर 5 फीसदी की कृषि विकास शुल्क जारी है।
भारत रिफाइंड, ब्लीच्ड और डियोडाइज्ड (आरबीडी) पाम तेल पर 12.5 फीसदी आयात कर लगाता है। एक सरकारी सूत्र ने बताया कि हम कच्चे पाम तेल पर शुल्क वापस लाने और आरबीडी पर शुल्क बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। हम किसानों और ग्राहक दोनों के हितों को ध्यान में रख रहे हैं। एक दूसरे सूत्र ने बताया कि तिलहन की गिरती कीमतों में मदद करने के लिए आयात कर बढ़ाने के लिए कुछ पिटीशन उद्योग की ओर से मिले हैं जिस पर फैसला लिया जा सकता है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में ज्यादा आपूर्ति से सोयाबीन और मूंगफली की कीमतों में भारी गिरावट आई है। मेहता ने राज्य द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ जगहों पर नई फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी कम कीमत पर बेची जा रही हैं। मेहता ने कहा कि सीपीओ और आरबीडी आयात करों में कम से कम 10 फीसदी की बढ़ोतरी करनी चाहिए। साथ ही आरबीडी और सीपीओ के बीच में शुल्क का अंतर कम से कम 12-13 फीसदी होना चाहिए।
भारत अपने वनस्पति तेल की जरूरतों का 70 फीसदी हिस्सा मलयेशिया, इंडोनेशिया, अर्जेंटीना, रूस, यूक्रेन और ब्राजील से आयात के जरिये पूरा करता है। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बढ़ते तेल आयात बिल पर चिंता जताई थी और उत्पादकों से तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने का आग्रह किया।