जानिए रेल की पटरी के नीचे क्यों रखे जाते हैं पत्थर, क्या है कारण 

मुंबई- रेल की पटरी के नीचे कंक्रीट के बने प्लेट होते हैं, जिन्हें स्लीपर कहा जाता है। इन स्लीपर के नीचे पत्थर यानी गिट्टी होती है। इसके नीचे अलग अलग तरह की दो लेयर में मिट्टी होती है। इन सबके नीचे जमीन होती है। रेलवे ट्रैक साधारण जमीन से थोड़ी ऊंचाई पर होते हैं। पटरी के नीचे कंक्रीट के बने स्लीपर, फिर पत्थर और इसके नीचे मिट्टी रहती है। इन सभी चीजों के कारण ट्रैक साधारण जमीन से थोड़ा ऊंचाई पर होता है। 

एक ट्रेन का वजन करीब 10 लाख किलो तक होता है। इस वजन को सिर्फ पटरी नहीं संभाल सकती। इतनी भारी ट्रेन के वजन को संभालने में लोहे के बने ट्रैक के साथ कंक्रीट के बने स्लीपर व पत्थर मदद करते हैं। जिसमें सबसे ज्यादा वजन इन पत्थरों पर ही होता है। पत्थरों की वजह से ही कंक्रीट के बने स्लीपर अपनी जगह से नहीं हिलते हैं। 

ट्रैक पर बिछाई जाने वाली गिट्टी खास तरह की होती है। अगर इन गिट्टी की जगह गोल पत्थरों का इस्तेमाल किया जाए, तो वे एक दूसरे से फिसलने लगेंगे और पटरी अपनी जगह से हट जाएगी। ये नुकीले होने के कारण एक दूसरे में मजबूत पकड़ बना लेते हैं। जब भी ट्रेन पटरी से गुजरती है, तो ये पत्थर आसानी से ट्रेन के भार को संभाल लेते हैं। 

पटरी पर गिट्टी बिछाने का एक उद्देश्य यह भी होता है कि पटरियों में जल भराव की समस्या न हो। जब बरसात का पानी ट्रैक पर गिरता है, तो वह गिट्टियों से होते हुए जमीन में चला जाता है। इससे पटरियों के बीच में जल भराव की समस्या नहीं होती है। इसके अलावा ट्रैक में बिछे पत्थर पानी से बहते भी नहीं हैं। 

ट्रैक पर जब ट्रेन स्‍पीड में दौड़ती है, तो कंपन्न पैदा होता है। इस कारण पटरियों के फैलने की संभावना बढ़ जाती है। कंपन्न कम करने के लिए और पटरियों को फैलने से बचाने के लिए ट्रैक पर पत्थर बिछाए जाते हैं। पटरी पर बिछे पत्थर कंक्रीट के बने स्लीपर को एक जगह स्थिर रहने में मदद करते हैं।  

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