लॉकडाउन में 25 हजार से शुरू किया कारोबार, अब 10 करोड़ का राजस्व 

मुंबई- आकाश मह्स्के और आदित्य कीर्तने बचपन के दोस्त हैं। बड़े होने पर दोनों इंजीनियर बने थे। लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन लगने से उनके जीवन में बड़ी त्रासदी गई थी। दोनों ने लॉकडाउन का पहला महीना फिल्म देखने में बिताया था। लेकिन लगातार लॉकडाउन की बढ़ रही अवधि के कारण कंपनियों ने उन्हें नौकरी से हटा दिया था। 

इसके बाद दोनों युवकों ने महाराष्ट्र शहर के उद्योंगों में नौकरी के लिए आवेदन करने के बजाय खुद का बिजनेस करने का फैसला किया। सफल व्यवसायों पर किताबें पढ़ने से उनका निर्णय मजबूत तो हुआ लेकिन वे फिर भी निश्चित नहीं थे कि उन्हें वास्तव में करना क्या है। 

एक स्थानीय विश्वविद्यालय द्वारा मीट और पॉल्ट्री पर एक वोकेशनल कोर्स शुरू किया गया था। जिसमें अत्यधिक असंगठित मीट बाजार में प्रवेश करने का विचार था। दोनों युवा उद्यमियों को यह विचार अजीब लग रहा था और शुरुआत में उन्हें उनके परिजनों से भी कोई सपोर्ट नहीं मिला। आदित्य ने बताया, हमारे परिजनों ने शुरू में सोचा था कि हम जो काम कर रहे हैं उसकी प्रकृति के कारण कोई हमसे शादी भी नहीं करेगा। हालांकि बाद में वह हमारे साथ खड़े रहे। 

उन्होंने अपने दोस्तों की सेविंग से 25,000 रुपये का प्रबंध कर पड़ोस में 100 वर्गफीट की जगह पर निवेश किया। उनका वेंचर ‘एपेटाइटी’ आगे चल पड़ा और अब इसका प्रतिमाह 4 लाख रुपये टर्नओवर है। उनके इस बिजनेस में तेजी जारी रही तो शहर की एक कंपनी फैबी कॉर्पोरेशन ने भी इसे देखा। फैबी ने हाल ही में इस बिजनेस में 10 करोड़ की अधिकांश हिस्सेदारी खरीदी है। कंपनी के सह-संस्थापक कीर्तने और म्हास्के कम हिस्सेदारी के साथ ब्रांड के साथ बने रहेंगे। 

फैबी के निदेशक फहद सैयद ने कहा कि वे जिस मुनाफे के साथ काम कर रहे हैं, वह चालीस प्रतिशत है। औरंगाबाद में मांस बेचना पूरी तरह से असंगठित क्षेत्र है। सैयद ने कहा कि डील के बाद बाद भी ब्रांड नाम एपेटाइटी जारी रहेगा। 

सैयद ने बताया कि वे नए उत्पादों को भी पेश करेंगे। इनमें उपभोक्ताओं के लिए ऑर्डर देने के लिए एक एप्लिकेशन का विकास, ब्रांड की भौतिक उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए अगले तीन वर्षों में सौ दुकानों को नया रूप देना और ऑर्डर को घर तक पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का एक बेड़ा बनाना शामिल होगा। 

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