एनपीएस में निवेश से पहले मिलेगी 6 तरह के जोखिम की जानकारी 

मुंबई- नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के निवेशकों के लिए अब इस योजना में एक और नई बात जुड़ी है। उनको निवेश करने से पहले यह पता चलेगा कि इसमें कितना जोखिम है। एनपीएस नियामक पेंशन फंड रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) ने हाल में इस संबंध में एक सर्कुलर जारी किया। इसने कहा कि एनपीएस इन्वेस्टमेंट में अब जोखिम को बताना होगा। इससे ग्राहकों को निवेश करने से पहले फैसला लेने में आसानी होगी।  

इस फैसले के आधार पर वे एनपीएस की विभिन्न योजनाओं में निवेश करेंगे या नहीं, इससे उनको समझने में मदद मिलेगी। इसमें 6 तरह के जोखिम बताने होंगे। जिनमें कम जोखिम, कम से मध्यम, मध्यम से ज्यादा, ज्यादा जोखिम और बहुत ज्यादा जोखिम शामिल है। 

सर्कुलर के मुताबिक, पहले और दूसरे नंबर के शहरों में जो पेंशन फंड का प्रबंधन करते हैं, उनको जोखिम बताना होगा। इसमें इक्विटी, कॉरपोरेट डेट और सरकारी प्रतिभूतियों के साथ स्कीम ए शामिल है। जोखिम के यह सारे मामले संबंधित पेंशन फंड की वेबसाइट पर उपलब्ध होंगे। उसमें पोर्टफोलियो डिस्क्लोजर कॉलम में सभी योजनाओं से संबंधित जोखिमों को दिखाया जाएगा। इसे हर तिमाही के अंतिम महीने के 15 दिन में दिखाना होगा। वहां से निवेशक इसे देख सकता है या जांच सकता है। 

सर्कुलर के अनुसार, निवेश वाले साधन में 0 से 12 तक  का एक दायरा होगा। इसमें ए क्रेडिट वैल्यू का मतलब शून्य होगा। इसका मतलब यह कि जिसमें शून्य रेटिंग दी गई होगी, वह सबसे अच्छा निवेश का साधन होगा। जबकि जिसमें 12 की रेटिंग होगी, उसकी क्रेडिट क्वालिटी सबसे खराब होगी। यानी इसमें निवेश पर सबसे ज्यादा जोखिम होगा। 

एनपीएस ट्रस्ट इस जोखिम प्रोफाइल की तिमाही आधार पर समीक्षा करेगा। अगर इसमें कोई सुधार होगा तो उसे पेंशन फंड की वेबसाइट पर दिखाना होगा। साथ ही एनपीएस ट्रस्ट को भी इसकी जानकारी देनी होगी। 

सर्कुलर को 15 जुलाई से लागू किया जाना है। यह सभी वर्तमान योजनाओं पर लागू होगा। हर साल के 31 मार्च को योजनाओं के जोखिम के स्तर को बताना होगा। साथ ही कितनी बार साल भर में जोखिम के स्तर में बदलाव किया गया, उसकी भी जानकारी देनी होगी। हाल में एनपीएस ट्रस्ट ने निवेशकों को एक और सहूलियत दी। इसके मुताबिक आप व्हाट्सएप के जरिये समस्याओं का हल पा सकते हैं। निवेशक 8588852130 पर संदेश भेज सकते हैं। 

पहले तो यह योजना केवल सरकारी नौकरीपेशा वालों के लिए ही थी। पर अब इसमें हर भारतीय निवेश कर सकता है। यह योजना टैक्स बचाने में मदद करती है। यह सरकार की रिटायरमेंट स्कीम है। इसे केंद्र सरकार ने एक जनवरी, 2004 में शुरू किया था। साल, 2009 के बाद इसे निजी क्षेत्रों के लिए भी खोल दिया गया था। रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी एक हिस्सा निकाल सकता है और बाकी रकम रिटायरमेंट के बाद नियमित आय के रूप में मिलती है। 

दरअसल, अभी तक म्यूचुअल फंड की किसी भी योजना में निवेश करने पर फंड हाउस को उससे जुड़े जोखिम को बताना होता है। इससे निवेशकों को पता चलता है कि उस योजना में कितना जोखिम है या नहीं है। इसी को देखते हुए अब एनपीएस में भी इसे लागू किया गया है ताकि किसी के निवेश पर कोई जोखिम न हो और वह सोच समझ कर निवेश का निर्णय ले। यह एक अच्छा फैसला है।  

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