पेट्रोल- डीजल पर नए कर से सरकार को सालाना 67,425 करोड़ की होगी कमाई 

मुंबई- पेट्रोल- डीजल और विमानन कंपनियों के ईंधन निर्यात पर लगाए गए कर के आलावा वित्तमंत्रालय ने कहा है कि इसके अतिरिक्त घरेलू स्तर पर कच्चे तेल का निर्माण करनेवाली कंपनियों पर 23,250 रुपये प्रति टन का अतिरिक्त कर लगाया गया है। यह एक तरह से ऐसा टैक्स है जो ज्यादा फायदा कमाने वाली कंपनियों पर लगाया जाता है।  

यह सरकारी और निजी कंपनियों जैसे ओएनजीसी, ऑयल इंडिया, केयर्न, वेदांता आदि पर लागू होगा। इससे सरकार को सालाना 67,425 करोड़ रुपये की कमाई होगी। देश में सालाना 3 करोड़ टन कच्चा तेल का उत्पादन होता है। सरकार ने कहा है कि जो कंपनियां घरेलू बाजार में बेचने के  लिए पेट्रोल का निर्यात करती हैं, उसकी कुल रकम का 50 फीसदी हिस्सा विदेशी ग्राहकों को बेचना होगा। यह नियम 31 मार्च, 2023 तक लागू रहेगा। डीजल के लिए यह नियम 30 फीसदी का होगा। 

वित्तमंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हाल के महीनों में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से घरेलू उत्पादकों को फायदा हुआ है। घरेलू कच्चा तेल उत्पादक कंपनियां अप्रत्याशित मुनाफा कमा रही हैं। हालांकि कच्चे तेल का आयात इसके अधीन नहीं होगा। यह नया कर तेल कंपनियों को मिलने वाली कीमत के लगभग 40 फीसदी के बराबर होगा। यह तेल उद्योग विकास उपकर के अतिरिक्त है। 

हालांकि वे उत्पादक, जो सालाना 20 लाख टन से कम कच्चे तेल का उत्पादन करते हैं, उन पर यह लागू नहीं होगा। सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में पिछले महीने कटौती की थी, जिससे उसे एक लाख करोड़ रुपये का घाटा होगा। निर्यात पर लगाए गए शुल्क का उद्देश्य घरेलू पेट्रोल पंपों पर आपूर्ति को बढ़ाना है। पिछले कुछ समय में मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात सहित कुछ राज्यों में आपूर्ति कम हो गई थी, जिससे लोगों को पेट्रोल और डीजल नहीं मिल रहा था। ऐसा इसलिए क्योंकि निजी रिफाइनरी घरेलू बाजार में बेचने के  बजाय निर्यात पर जोर दे रही थीं।  

इस प्रतिबंध से निजी कंपनियों को अब या तो घाटे में ईंधन बेचना होगा या ज्यादा कीमत पर बेचकर बाजार हिस्सेदारी गंवानी होगी। निजी कंपनियों के पास 10 फीसदी बाजार हिस्सेदारी है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कुछ घरेलू आपूर्ति की कीमत पर ईंधन के निर्यात पर कुछ तेल रिफाइनरी द्वारा कमाए गए अभूतपूर्व मुनाफे ने सरकार को पेट्रोल, डीजल और विमानन ईंधन पर निर्यात कर लगाने के लिए प्रेरित किया। हालांकि इसकी हर पखवाड़े समीक्षा की जाएगी।  

नए करों का मकसद घरेलू बाजार में पेट्रोलियम पदार्थों की आपूर्ति में सुधार करना है, क्योंकि निजी उत्पादक मुख्य रूप से निर्यात पर ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत को मौजूदा समय में विदेशों से सस्ते दाम पर कच्चा तेल मिलने में दिक्कत हो रही है। उन्होंने कहा हम मुनाफा कमाने वालों से नाराज नहीं हैं। 

रिलायंस और ओएनजीसी के शेयर में भारी गिरावट 

पेट्रोल, डीजल और विमानन ईंधन के निर्यात पर कर लगाने के सरकारी फैसले के बाद शुक्रवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर 7 फीसदी टूटा जबकि ओएनजीसी का शेयर 13 फीसदी टूट गया। इससे रिलायंस के निवेशकों को 1.25 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ। इसका बाजार पूंजीकरण घटकर 16.29 लाख करोड़ रुपये रहा। दिन में यह 9 फीसदी तक गिर गया था। ओएनजीसी का शेयर घटकर 131 रुपये पर चला गया जबकि वेदांता का शेयर 4 फीसदी टूटा। ऑयल इंडिया 15 फीसदी, मैंगलोर रिफाइनरी 10 फीसदी और चेन्नई पेट्रो 5.23 फीसदी गिर गया। बीएसई एनर्जी इंडेक्स 4 फीसदी गिरकर बंद हुआ। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *