आसानी से कारोबार करने में हरियाणा और पंजाब टॉप अचीवर्स में
नई दिल्ली। देशभर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आसानी से कारोबार करने के मामले में 7 राज्य टॉप अचीवर्स की श्रेणी में रहे हैं। इसमें पंजाब, हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, आँध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना हैं। जबकि अंडर अचीवर्स (यानी हासिल करने की राह पर) में 6 राज्य हैं। इसमें उत्तर प्रदेश, हिमाचल, उत्तराखंड, ओड़ीसा, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश हैं।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को इसकी रैंकिंग जारी की। उन्होंने कहा कि 2020 में व्यवसायों के सुधार की योजना को लागू करने में ये राज्य सबसे आगे थे। रैंकिंग की जारी रिपोर्ट के अनुसार, आकांक्षी (अस्पायर) श्रेणी में भी सात राज्य हैं। इसमें असम, केरल, गोवा, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान और पश्चिम बंगाल हैं।
उभरते हुए कारोबारी श्रेणी में 11 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं। इनमें दिल्ली, त्रिपुरा, अंडमान निकोबार, बिहार, चंडीगढ़, दमन और दीव, दादरा एंड नागर हवेली, जम्मू और कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा हैं।
राज्यों के कारोबार करने में आसानी के मामले में इस बार वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने रैंकिंग व्यवस्था में बदलाव किया। इसमें चार नई श्रेणी जोड़ी गई। जबकि पहले केवल रैंकिंंग ही शामिल होती थी। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव अनुराग जैन ने कहा कि तमाम राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच बहुत ही मामूली अंतर है इसलिए उन्हें रैंकिंग के बजाय श्रेणी में डाला गया है।
बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान (बीआरएपी) के 2020 में 301 सुधारों के बिंदुओं को शामिल किया गया। इसमें 15 कारोबारी नियामक क्षेत्र थे। जिसमें सूचना, एकल खिड़की व्यवस्था, कामगार और जमीन प्रशासन आदि थे। सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए 118 नए सुधारों को शामिल किया गया। पहली बार सुधार एजेंडा के दायरे का विस्तार करने के लिए व्यापार लाइसेंस, स्वास्थ्य देखभाल, कानूनी मेट्रेलॉजी और सिनेमा हाल जैसे 9 क्षेत्रों के 72 एक्शन पॉइंट को भी शामिल किया गया।
इस रैंकिंग का उद्देश्य निवेशकों के विश्वास, व्यापार के अनुकूल माहौल को बढ़ावा देना है। साथ ही बीआरएपी को लागू कर उनके प्रदर्शन का आकलन करना है। राज्यों के आकलन प्रणाली के माध्यम से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का एक ढांचा पेश करके देश भर में व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देना है। 2014 में इस रैंकिंग को शुरू किया गया था, उसके बाद से पांच बार इसकी रिपोर्ट जारी की गई है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस अवसर पर कहा कि 1991 में जिन सुधारों को लागू किया गया था, उसके विपरीत अब के सुधारों में कोई बाध्यता नहीं है। इसका उद्देश्य यह देखना है कि व्यवस्था में क्या सुधार आएगा और हमारे लिए कैसे एक बेहतर जीवन सुनिश्चित करेगा। उन्होंने सभी स्तरों पर क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर भी बल दिया, ताकि दक्षता में और सुधार किया जा सके।