महंगाई थामने के लिए चीनी निर्यात पर पाबंदी, सस्ता होगा खाने का तेल  

नई दिल्ली। बढ़ती महंगाई को थामने का सरकार का लगातार प्रयास जारी है। अब चीनी के निर्यात पर सीमा लगाने की योजना है। जबकि पेट्रोल, डीजल और खाने के तेल पर उत्पाद और आयात शुल्क को एक बार फिर से घटाने की तैयारी है। इस कदम से माना जा रहा है कि महंगाई में कुछ कमी आएगी।  

उधर, खाने के तेल की कीमतों को लेकर मंगलवार को केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया। सरकार ने 20 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल के आयात पर 2 साल के लिए कस्टम ड्यूटी और एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट​​​​​​ सेस खत्म करने का ऐलान किया है। इससे खाने का तेल सस्ता होने की उम्मीद है। यह छूट 31 मार्च 2024 तक लागू रहेगी। 

कमोडिटीज की लगातार बढ़ रही कीमत ने सरकार के लिए चिंता पैदा कर दिया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय से इस संबंध में उन सामानों की सूची मांगी गई है, जिस पर शुल्क कटौती का फैसला किया जा सकता है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि शनिवार को पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटाने से कंज्यूमर महंगाई में 30-40 बीपीएस की कमी आ सकती है। भारत ने इससे पहले महंगाई को कम करने के लिए 16 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था।   

चीनी की कीमतों को कम करने के लिए भारत करीबन 6 वर्षों बाद पहली बार इसके निर्यात पर सीमा लगाने की योजना बना रहा है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, इस मौसम में इसके निर्यात की सीमा एक करोड़ टन की जा सकती है। पिछले एक महीने में चीनी के शेयरों की कीमतें 60 फीसदी तक टूट चुकी हैं। 

दुनिया में भारत चीनी का उत्पादन करने के मामले में पहले नंबर पर और निर्यात के मामले में दूसरे नंबर पर है। ब्राजील चीनी का सबसे ज्यादा निर्यात करता है। चीनी क्षेत्र के संगठन इस्मा को उम्मीद है कि इस मार्केटिंग सीजन में 90 लाख टन चीनी का निर्यात किया जा सकता है जो अब तक का रिकॉर्ड होगा। अब तक 70 लाख टन चीनी का निर्यात हो चुका है। जबकि कुल 83 लाख टन के लिए करार किया गया है। पिछले साल 72 लाख टन निर्यात किया गया था। 

सरकार एक बार फिर से पेट्रोल, डीजल पर आयात और उत्पाद शुल्क में कमी कर सकती है। पिछले हफ्ते ही इसने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी-भरकम कटौती की थी। इनके अलावा राइस ब्रान, कनोला, पाम और ओलाइव तेलों सहित अन्य पर आयात शुल्क घटाया जाएगा। 

सरकार इसी तरह से उद्योगों के लिए अन्य आयातित कच्ची सामग्रियों के भी शुल्क में कटौती की योजना बना रही है। इसमें कुछ आयात वाले सामान पर एग्रीकल्चर इंफ्रा डेवलपमेंट सेस को कम किया जाएगा। सरकारी सूत्रों ने कहा कि इस मामले में पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री कार्यालय ने चर्चा की है। 

सूत्रों के मुताबिक, सरकार निकट समय से मध्यम समय में महंगाई की दरों में 60 से 70 बीपीएस की कटौती करने पर काम कर रही है। इस समय खुदरा महंगाई की दर 8 वर्षों के ऊपरी स्तर 7.79 फीसदी और थोक महंगाई 31 साल के ऊपरी स्तर पर है। 

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