समझिए कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया से, कैसे पेट्रोल और डीजल में सरकार ने की चालाकी
मुंबई- मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटा दी है। इसकी वाहवाही खूब लूटी जा रही है। लेकिन यही सरकार जब पिछले दो महीने में पेट्रोल और डीजल पर 10-10 रुपये कीमत बढ़ाई थी, तब किसी ने इसकी क्रेडिट नहीं ली। अब 9.50 रुपये घटाने के बाद भी यह दोनों दाम दो महीने के पहले वाले के स्तर के ऊपर ही रहेंगे। यानी सरकार ने जितना बढ़ाया, उससे कम घटाया।
2014 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशीर गठबंधन (संप्रग) सरकार पेट्रोल पर 9.48 रुपये डीजल पर 3.56 रुपये लीटर एक्साइज लेती थी। मोदी सरकार अब 27.90 पेट्रोल पर 21.80 रुपये डीजल पर लेती है। शनिवार को ड्यूटी घटाने के बाद यह अब 19.90 पेट्रोल पर और 15.80 डीजल पर है। इस ड्यूटी के जरिये 27 लाख करोड़ सरकार ने कमाए हैं। यानी संप्रग सरकार की तुलना में पेट्रोल पर डीजल पर दोगुना और तीन गुना से ज्यादा ड्यूटी अभी है।
एक्साइज पर सेंट्रल बेसिक ड्यूटी होती है जो राज्यों के साथ साझा करती है केंद्र सरकार। एक अतिरिक्त विशेष और सेस होता है जो केवल केंद्र सरकार रखती है। यह 68 फीसदी हिस्सा है जो केंद्र सरकार का होता है। सरकार ने सेंट्रल बेसिक टैक्स कम किया है जो राज्यों का ही हिस्सा होता है। यानी मोदी सरकार ने राज्यों वाला हिस्सा घटा दिया है। जबकि अपना हिस्सा वसूल रही है।
इस कटौती में केंद्र सरकार का 61 पैसा और राज्यों का 39 पैसा कम हुआ है। यानी राज्यों का हिस्सा भी कम हुआ है। राज्य का हिस्सा प्रति लीटर 41 पैसे कम हुआ है। यह मामला सरकार नहीं बताएगी। पेट्रोल डीजल में आग क्यों लगी यह भी एक कारण है। यानी कुल मिलाकर आपसे ही पैसे लेकर उसका कुछ हिस्सा आपको ही देकर सरकार यह कह रह है कि जनता उसके लिए पहले है।