सड़कों पर विक्रेताओं के लिए स्वानिधि योजना दिसंबर तक बढ़ी 

मुंबई- सरकार ने प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) स्कीम के कार्यकाल को आगे बढ़ा दिया है। अब यह स्कीम दिसंबर 2024 तक मान्य रहेगी। पहले इस स्कीम का कार्यकाल मार्च 2022 तक था। स्कीम के कार्यकाल को विस्तार देने का फैसला बुधवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।  

बैठक के बाद केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि पीएम स्वनिधि स्कीम को दिसंबर 2024 तक जारी रखने का फैसला किया गया है। रेहड़ी-पटरी वालों की आर्थिक मदद के लिए 2 जुलाई 2020 को प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि योजना को लॉन्च किया गया था।  

योजना के तहत रेहड़ी-पटरी, खोमचे वाले समेत तमाम स्ट्रीट वेंडर्स पहली बार में 10,000 रुपये तक का कर्ज प्राप्त कर सकते हैं। पहले के कर्ज के भुगतान पर वे दूसरे और तीसरे चरण में क्रमश: 20,000 रुपये और 50,000 रुपये लोन के तौर पर ले सकते हैं। पीएम स्वनिधि योजना के तहत इसकी शुरुआत से लेकर अब तक 34 लाख से अधिक रेहड़ी-पटरी वालों को 3,628 करोड़ रुपये का कर्ज मंजूर किया गया है। 

स्कीम का फायदा सड़क किनारे ठेले या रेहड़ी-पटरी पर दुकान चलाने वाले, फल-सब्जी, लॉन्ड्री, सैलून और पान की दुकानें लगाने वाले, हॉकर्स आदि ले सकते हैं। हालांकि शर्त है कि वेंडर्स 24 मार्च 2020 या उससे पहले से वेंडिंग कर रहे हों। शहरी क्षेत्रों में वेंडिंग से जुड़े वेंडर्स के अलावा, यह स्कीम उन सेलर्स के लिए भी है, जो शहरी क्षेत्रों के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और शहर/कस्बे में आकर बिक्री करते हैं व सर्वेक्षण में शामिल नहीं हो पाए हैं।  

ऐसे सेलर्स को यूएलबी/टाउन वेंडिंग कमिटी से सिफारिश पत्र यानी लेटर ऑफ रिकमंडेशन प्राप्त करना होगा। शहरी स्थानीय निकाय को सामान्य आवेदन के माध्यम से भी अनुरोध कर सकते हैं। अर्बन लोकल बॉडीज की ओर से जारी वेंडिंग सर्टिफिकेट/आईडी कार्ड धारक वेंडर्स के अलावा वे विक्रेता भी लाभ ले सकते हैं, जिनका नाम सर्वेक्षण सूची में है लेकिन उनके पास पहचान पत्र या सर्टिफिकेट ऑफ वेंडिंग नहीं है। ऐसे विक्रेताओं को वेब पोर्टल से एक प्रोविजनल सर्टिफिकेट ऑफ वेंडिंग जारी होगा। 

शहरी क्षेत्रों के स्ट्रीट वेंडर्स को 1 साल के लिए 10000 रुपये तक का कोलेट्रल फ्री लोन दिए जाने का प्रावधान है। इसका मतलब हुआ कि कर्ज के लिए वेंडर्स को किसी तरह की गारंटी देने की जरूरत नहीं होगी। लोन को मासिक किस्तों में चुकाया जा सकेगा। अगर वेंडर लोन का नियमित पुनर्भुगतान करता है तो 7 फीसदी सालाना की ब्याज सब्सिडी भी है।  

सब्सिडी के पैसे को सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में तिमाही आधार पर भेजा जाता है। लोन का समय से पहले भुगतान करने पर सब्सिडी एक ही बार में खाते में आ जाएगी। अगर वेंडर निर्धारित तरीके से डिजिटल ट्रांजेक्शन करता है तो स्कीम के तहत 1200 रुपये सालाना तक का कैशबैक भी दिया जाता है।  

लाभार्थी के लिए अनिवार्य KYC दस्तावेज आधार कार्ड व मतदाता पहचान पत्र हैं। इसके अलावा PAN कार्ड, मनरेगा कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस भी केवाईसी दस्तावेजों में शामिल हैं।  

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