स्विगी और जोमैटो के खिलाफ जांच का आदेश, सीसीआई करेगा जांच 

मुंबई- भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी और जोमैटो के ऑपरेशन और बिजनेस मॉडल की जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले में विस्तृत जांच करने और 60 दिनों के भीतर आयोग को रिपोर्ट सौंपने को कहा है। 

नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) ने पिछले साल जुलाई में स्विगी, जोमैटो पर एंटी कॉम्पिटिटिव पैक्टिसेस का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज की थी। NRAI ने आरोप लगाया था कि ये ऑनलाइन फूड एग्रीगेटर्स डीप डिस्काउंटिंग, एक्सक्लूसिव टाई-अप्स और रेस्टोरेंट पार्टनर्स को तरजीह देते हैं जो कि कॉम्पिटिशन नियमों का उल्लंघन है।  

CCI की जांच ऐसे समय में आई है जब जोमैटो 10 मिनट फूड डिलीवरी शुरू करने के लिए कमर कस रहा है। हाल ही में, कंपनी के फाउंडर दीपेंदर गोयल ने कहा था कि कंपनी अपने डिलीवरी पार्टर्स पर तेजी से फूड डिस्ट्रीब्यूट करने के लिए कोई दबाव नहीं डाल रही है। गोयल ने नए मॉडल को समझाते हुए कहा कि 10 और 30 मिनट दोनों ही प्रकार की डिलीवरी में देरी होने पर कोई जुर्माना नहीं है और समय पर डिलीवरी में कोई इंसेंटिव नहीं मिलेगा। ब्रेड आमलेट, पोहा, कॉफी, चाय, बिरयानी, मोमो जैसे फूड आइटम्स ही नई सर्विस में जुड़ेंगे। 

ये रेस्टोरेंट बिजनेस को प्रभावित करता है और नए प्लेयर्स की मार्केट में एंट्री भी रोकता है। NRAI देश भर में 50,000 से ज्यादा रेस्टोरेंट ऑपरेटर्स का प्रतिनिधित्व करता है। NRAI ने आरोप लगाया कि कोविड-19 महामारी के दौरान, जोमैटो और स्विगी की एंटी-कॉम्पिटिटिव प्रैक्टिस कई गुना बढ़ गई। कई चर्चाओं के बावजूद रेस्टोरेंट ऑपरेटर्स की चिंताओं को दूर करने की कोशिश नहीं की गई।  

NRAI ने कहा कि रेस्टोरेंट से 20%-30% कमीशन लिया जाता है, जो काफी ज्यादा है। इन फूड एग्रीगटर्स पर आरोप है कि ये अपने प्लेटफॉर्म पर लिस्टेड रेस्टोरेंट से ऑर्डर वैल्यू का लगभग 27.8% चार्ज करते हैं क्लाउड किचन के लिए कमीशन की दर 37% तक है। CCI ने पाया कि NRAI के कुछ दावे जांच योग्य है। 

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