यूं ही नहीं बनाया गया माधबी को सेबी चेयरपर्सन, एक तीर से कई निशाने होंगे
मुंबई- वित्तमंत्रालय ने माधबी पुरी बुच को सेबी का नया चेयरपर्सन बनाया है। यह नियुक्ति शुरुआत में 3 साल के लिए है। वे 2017 से 2021 के दौरान होलटाइम मेंबर थीं।
दरअसल, बुच को सेबी में लाने के पीछे ही काफी सारे कारण रहे हैं। वे पहले ही भारतीय बैंकिंग में काम कर चुकी हैं। उनको चेयरमैन बनाकर कुछ मामलों में एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश है। कहा जाता है कि सेबी चेयरमैन बनने के बाद वे अब बैंकिंग सेक्टर के लिए कुछ अच्छा काम कर सकती हैं।
माधबी पुरी बुच बहुत ही सख्त स्वभाव के लिए जानी जाती हैं। वे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद से MBA की डिग्री हासिल कीं। उसके पहले सेंट स्टीफन कॉलेज से उन्होंने प़ढ़ाई की थी। वित्तमंत्रालय ने अक्टूबर 2021 में इस पद के लिए आवेदन मंगाया था जिसे भेजने की अंतिम तारीख 6 दिसंबर थी। सेबी में डी. आर मेहता के बाद यूके सिन्हा सबसे लंबे समय तक चेयरमैन रहे। उनको भी तीन साल का सेवा विस्तार दिया गया था।
सेबी के वर्तमान चेयरमैन अजय त्यागी का कार्यकाल 28 फरवरी को समाप्त हो रहा है। रेगुलेटर चीफ के लिए पूर्व वित्त सचिव देबाशीष पांडा भी लाइन में थे। माधबी पुरी बुच मार्केट रेगुलेटर सेबी के टॉप पोस्ट पर पहुंचने वाली पहली महिला अधिकारी हैं। वे होलटाइम डायरेक्टर बनने वाली भी पहली महिला हैं और प्राइवेट सेक्टर से सेबी चेयरपर्सन तक पहुंचने वाली भी पहली अधिकारी हैं।
उनके पास सेबी में सर्विलांस, कलेक्टिल इन्वेस्टमेंट स्कीम और इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट की जिम्मेदारी थी। सर्विलांस के मामले में उन्होंने कुछ मीडियाकर्मियों पर भी कार्रवाई की थी। सेबी में होलटाइम मेंबर के कार्यकाल के बाद बुच सात सदस्यों वाले एक्सपर्ट ग्रुप की प्रमुख थीं।
बुच ने अपना कैरियर देश में निजी सेक्टर के बड़े बैंक ICICI बैंक से 1989 से शुरू किया था। वे 2009 फरवरी से मई 2011 तक ICICI सिक्योरिटीज की MD एवं CEO थीं। 2011 में वे सिंगापुर चली गईं और वहां उन्होंने ग्रेटर पैसिफिक कैपिटल में काम किया। 2007 से 2009 तक वे ICICI बैंक में कार्यकारी निदेशक थीं। माधबी के पास 30 सालों का लंबा अनुभव है और वे सेबी की तमाम कमेटियों में पहले भी रह चुकी हैं। वे अभी इसकी एडवाइजरी कमिटी में भी थीं।
अभी के चेयरमैन अजय त्यागी 1984 बैक के हिमाचल प्रदेश कैडर के IAS अधिकारी रहे हैं। वे 1 मार्च 2017 को 3 साल के लिए चेयरमैन बने थे और फिर उन्हें 6 महीने का सेवा विस्तार मिला था। इसके बाद अगस्त 2020 में 18 महीने का वापस उनका कार्यकाल बढाया गया था।