एलआईसी आईपीओ से पहले बाजार में भारी गिरावट, निवेशक बरत सकते हैं सावधानी
मुंबई-बाजार की गिरावट के बाद एलआईसी के इश्यू के समय को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। क्या बाजार में गिरावट का असर इस आईपीओ पर पडे़गा? एलआईसी देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है। इसमें सरकार की 100 फीसदी हिस्सेदारी है।
सरकार कंपनी में अपनी करीब 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहती है। यह इश्यू 60,000 से 90,000 करोड़ रुपए का हो सकता है। एलआईसी आईपीओ के लिए काफी समय से माहौल तैयार कर रही है। वह पॉलिसी होल्डर्स से डीमैट खाता खोलने और पॉलिसी को पैन से लिंक करने के लिए कह रही है।
बाजार में गिरावट जारी रहती हैं तो सफल बनाने की लाख कोशिशों के बावजूद आईपीओ को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। घरेलू बाजार में विदेशी फंडों की बिकवाली जारी है। इस इश्यू को काफी पैसा चाहिए। एलआईसी की ताकत को लेकर कोई संदेह नहीं है। लेकिन, ऐसे समय में इसका आना अच्छा नहीं है, जब बाजार का सेंटीमेंट कमजोर है।
सरकार के पास भी इस आईपीओ को टालने की गुंजाइश नहीं है। सरकार एक साल से ज्यादा समय से एलआईसी की स्टॉक मार्केट में लिस्ट कराने की कोशिश कर रही है। चालू वित्त वर्ष में सरकार के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए यह आईपीओ जरूरी है। इस महीने की शुरुआत में पेश बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कह चुकी हैं कि एलआईसी का आईपीओ मार्च तक आ जाएगा।
अगर एलआईसी आईपीओ से 60-70 हजार करोड़ है तो यह पिछले साल आईपीओ से जुटाई गई कुल रकम का करीब आधा होगा। इस साल करीब 40 कंपनियों ने आईपीओ पेश करने का प्लान बनाया है। इसके लिए मार्केट में पर्याप्त लिक्विडिटी जरूरी है। उधर, नई लिस्ट हुई कंपनियों में से करबी एक तिहाई कंपनियों के शेयर इश्यू प्राइस से नीचे चल रहे हैं। पेटीएम इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। यह शेयर लिस्टिंग के बाद से करीब 59 फीसदी गिर चुका है।
उधर, कोराना की महामारी शुरू होने के बाद से बड़ी संख्या में रिटेल निवेशकों ने स्टॉक मार्केट्स में प्रवेश किया है। इससे देश में रिटेल निवेशकों की कुल संख्या 8 करोड़ से ज्यादा हो गई है। एलआईसी के करीब 29 करोड़ पॉलिसीधारक हैं।