2022 के बजट के बाद विभिन्न क्षेत्र कैसे प्रभावित होंगे?
मुंबई- भारतीय अर्थव्यवस्था की बात करें तो ढांचागत क्षमताओं को लेकर चिंताएं चौंकाने वाली हैं। इन्हें 2022 के बजट के जरिए दूर किया गया माना जा सकता है। दरअसल, इसमें सरकार के पूंजीगत व्यय में साल के मुकाबले साल के आधार पर 24.5% की तेज वृद्धि प्रस्तावित है। राजस्व से कुल और पूंजी से कुल व्यय का ऐतिहासिक-तुलनात्मक ग्राफ योजना में कमी के आलोक में बदल गया है जो कोविड-19 के कारण या उसके दबाव में हुआ है।
2022 के बजट के बाद विभिन्न क्षेत्र कैसे प्रभावित होंगे इस पर विस्तार से जानकारी दे रहें हैं एंजेल वन लिमिटेड के इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट-डीवीपी ज्योति रॉय।
रक्षा उद्योग: हमेशा की तरह, इस क्षेत्र को धन का आवंटन सूची में सबसे ज्यादा है। स्थानीय उपकरण विनिर्माताओं के लिए उद्योग में 68% कैपेक्स (पूंजीगत खर्च) निर्धारित किया जाना उम्मीद की किरण की तरह है।
ऑटोमोबाइल उद्योग: जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने के साथ, ईवी क्षेत्र ने ऑटोमोबाइल उद्योग पर ध्यान केंद्रित किया है। इस क्षेत्र में कंपनीज की संख्या बढ़ने और मांग पैदा होने से ऐसी नीतियों की मांग पैदा होगी जिससे ढांचागत आवश्यकताओं को समर्थन मिले। सरकार ने रियायती कीमत से ईवी की बिक्री को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया है। इसके अलावा, बैटरी की अदला-बदली के लिए पेश किए गए नियमन से स्वच्छ परिवहन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
लॉजिस्टिक्स उद्योग: 400 नई वंदे भारत ट्रेन की घोषणा और आने वाले तीन वर्षों में व्यवहार्य जन परिवहन के लिए दूरदराज के क्षेत्रों को जोड़ने के लिए ढांचागत विकास से कनेक्टिविटी आसान होने और वाणिज्य को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
दूरसंचार उद्योग: डाटा स्टोरेज को संरचना के बैनर तले लाए जाने और 5जी की नीलामी की योजना के साथ इस समय लुढ़कती दूरसंचार कंपनियों की बिक्री और परिचालन मजबूत होगा।
ऊर्जा उद्योग: हरित ऊर्जा में व्यय बढ़ाने की योजना से भारत की एसडीजी प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने में बढ़ावा मिलेगा। सौर मॉड्यूल के लिए पीएलआई योजना भारतीय डोमेन में बेहतर और सस्ते पैनल लाएगी, इससे घरेलू उपयोग बढ़ेगा।
अचल संपत्ति उद्योग: किफायती आवास पिछले पांच वर्षों से मौजूदा सरकार का फोकस क्षेत्र रहा है। नए वित्त वर्ष में भी यही प्रवृत्ति जारी रही है। इससे सीमेंट और संबद्ध उद्योगों के लिए अधिक अनुबंध किए जा रहे हैं। किफायती आवास के तहत परियोजनाओं के लिए धारा 80आईबीए के तहत कर अवकाश का प्रावधान बढ़ा दिया गया है।
इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग: पीसीबी, स्मार्ट मीटर और सोलर मॉड्यूल जैसे इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर बढ़ा हुआ आयात शुल्क घरेलू निर्माताओं और मेक इन इंडिया की संभावनाओं के लिए फायदेमंद साबित होगा।
रासायनिक उद्योग: घरेलू अनुसंधान और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए जटिल रासायनिक यौगिकों के लिए कच्चे माल पर आयात शुल्क कम किया गया है।
वित्तीय उद्योग: महामारी के कारण अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति की पृष्ठभूमि में ईसीएलजीएस के विस्तार से एमएसएमई की आर्थिक संभावनाओं को मजबूत करने में मदद मिलेगी। इससे आतिथ्य और संबंधित क्षेत्रों के लिए समर्पित विस्तार की संभावना बनेगी। यह 2 लाख करोड़ रुपये के सीजीटीएमएसई में सुधार के अलावा है।
इस तरह के निवेश से होने वाले मुनाफे पर 30% कर लगाने के इरादे से मंत्रालय द्वारा डिजिटल वर्चुअल एसेट के नियमन में एक बड़ा बदलाव किया गया है। सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मिंटिंग व्यवसाय और जमा राशि को प्रभावित करते हुए अपने डिजिटल टोकन पेश करने की योजना भी बताई है।
कृषि उद्योग: स्वास्थ्य में सुधार के नए उद्देश्य ने न केवल निर्यात के लिए बल्कि अधिक जागरूकता के जरिये घरेलू क्षेत्र में अधिक उपयोग के लिए प्राकृतिक और जैविक खेती पर ध्यान केंद्रित किया है। गंगा के आसपास जैविक खेती को बढ़ावा देने और ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए दिशा-निर्देशों की शुरूआत से निश्चित रूप से उद्योग को लाभ होगा।
निष्कर्ष: बजट में बढ़े हुए कैपेक्स आउटलुक से उद्योगों को समग्र रूप से लाभ होगा। यह देखते हुए कि विनिवेश और कर संग्रह लक्ष्य काफी यथार्थवादी हैं, लक्ष्य हासिल न होने की आशंका बहुत कम है। पिछले वर्ष में कर व्यवस्था में एक बड़े बदलाव के कारण इस बार व्यक्तिगत कराधान नीति दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। एफएमसीजी क्षेत्र सिगरेट के लिए कर दरों में बदलाव के बिना संतुष्ट लगता है।