अब ओला और उबर पर कसी लगाम, दिल्ली सरकार का नया फरमान

मुंबई- ओला और उबर जैसे ऐप आधारित टैक्सी ऑपरेटरों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली में एग्रीगेटर स्कीम का मसौदा जारी कर दिया गया है। 50 से अधिक कारों का बेड़ा रखकर ऐप से ऑनलाइन टैक्सी, मोटरसाइकिल या थ्री व्हीलर सेवा देने वालों को लाइसेंस लेना होगा।

स्कीम का पालन नहीं करने वालों पर भारी जुर्माने का प्रस्ताव है। अगर गाइडलाइंस जारी होने के 3 महीने में एग्रीगेटर ने लाइसेंस नहीं लिया, तो प्रति वाहन से 25 हजार रुपए जुर्माना चुकाना होगा। अधिसूचना जारी होने के 100 दिन पूरे होने पर भी लाइसेंस नहीं लिया तो 500 रुपए प्रति वाहन प्रति दिन के हिसाब से जुर्माना लगेगा।

ऐसे लोगों को स्थानीय स्तर पर ऑपरेटिंग सेंटर खोलने होंगे। अपने ऐप को भारतीय कानून के अनुसार ढालना होगा और 24 घंटे चलने वाले ऐसे सहायता केंद्र भी चलाने होंगे, जहां उनकी कारों की ट्रैकिंग हो। इमरजेंसी में उपभोक्ता और ड्राइवर तक हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में संपर्क साधकर सहायता दी जा सके।

दुनियाभर में उबर और ओला जैसे ऐप आधारित एग्रीगेटर सेवाओं के लिए दिल्ली 10 शीर्ष मार्केट में है। ओला और उबर के करीब 2 लाख ड्राइवर दिल्ली में हैं। परिवहन विभाग ने योजना का मसौदा सार्वजनिक कर दिया है और सभी सरोकार रखने वालों से 18 फरवरी तक अपनी राय या आपत्ति दर्ज करने का समय दिया गया है। स्कीम लागू होने के बाद दुपहिया, तिपहिया और कार के जरिए ऐप आधारित सेवाएं देने वाले एग्रीगेटरों को लाइसेंस लेना होगा। इस योजना से बसों को अलग रखा गया है।

वाहनों के बेड़े को इलेक्ट्रिक वाहन में बदलने का रोडमैप दिया गया है। लाइसेंस लेने के 6 महीने में दोपहिया और तिपहिया वाहनों में 10% को, 1 साल में 25% को और 2 साल के भीतर 50% को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलना होगा। कारों के बेड़े के लिए 6 महीने में 5%, एक साल में 15% और 2 साल में 25% वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने की शर्त है। पालन नहीं करने पर प्रति वाहन रोज 1000 रुपए जुर्माना भरना होगा।

1000 वाहनों तक के बेड़े के लिए एक लाख रुपए सिक्योरिटी लगेगी जबकि एक से 5 हजार वाहनों वालों को ढाई लाख सिक्योरिटी देना होगा। 5 से 10 हजार वाहनों के लिए 5 लाख और उससे ज्यादा वाहनों के लिए 10 लाख रुपए की सिक्योरिटी जमा करानी होगी।

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