फंड स्कीम को बंद करने के लिए यूनिट धारकों की मंजूरी जरूरी, एंकर निवेशकों पर कसी नकेल
मुंबई- बाजार नियामक सेबी ने बोर्ड मीटिंग में कई फैसले किए हैं। इसमें सबसे अहम फैसला म्यूचुअल फंड को लेकर किया गया है। अब फंड हाउस अपनी किसी भी स्कीम को बंद करने के पहले यूनिट धारकों से मंजूरी लेगा।
सेबी ने बोर्ड मीटिंग के बाद कहा कि कई फैसले आज किए गए हैं। दरअसल अप्रैल 2020 में फ्रैंकलिन टेंपल्टन ने अपनी 6 डेट स्कीम को अचानक बंद कर दिया था। इसके बाद निवेशकों ने कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया। हालांकि अभी तक उसका पैसा निवेशकों को लौटाया जा रहा है। इस मामले में कोर्ट ने एसबीआई म्यूचुअल फंड को पैसे लौटाने के लिए नियुक्त किया था।
फ्रैंकलिन टेंपल्टन लगातार निवेशकों की निवेश की गई रकम को लौटा रहा है। सेबी ने कहा कि अगर यूनिट धारक इस तरह की किसी बंद की गई स्कीम के खिलाफ में वोट करते हैं तो ऐसी स्कीम्स को फिर से निवेश के लिए खोला जाएगा और दूसरे दिन से निवेश की रकम को निकाला जा सकता है।
इसी तरह एंकर निवेशकों के लिए लॉक इन समय को बढ़ा दिया गया है। अभी तक यह 30 दिन का था। यानी आईपीओ आने के 30 दिन के पहले एंकर निवेशक अपने शेयर नहीं बेच सकते थे। अब एंकर निवेशक 50 पर्सेंट हिस्सा 30 दिनों में और बाकी 50 पर्सेंट हिस्सा 90 दिनों में बेच सकते हैं। यह नियम एक अप्रैल 2022 से लागू होगा। एंकर निवेशक वे निवेशक होते हैं जो आईपीओ खुलने से एक दिन पहले पैसा लगाते हैं।
सेबी ने इसी के साथ म्यूचुअल फंड नियम में भी बदलाव किया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 से म्यूचुअल फंड हाउस को इंडियन अकाउंट स्टैंडर्ड का पालन करना होगा। इसी के साथ सेबी ने कहा कि अब किसी भी कंपनी में अगर शेयर धारक चेयरमैन या होल टाइम डायरेक्टर, मैनेजिंग डायरेक्टर या मैनेजर्स की अपॉइंटमेंट को जनरल मीटिंग में खारिज कर देते हैं तो उनकी फिर से नियुक्ति के लिए मंजूरी जरूरी होगी। यह चाहे पहली बार हो या फिर दोबारा नियुक्ति का मामला हो।
एक अन्य फैसले में सेबी ने कहा कि अब कंपनियों को सेटलमेंट एप्लिकेशन कारण बताओ या सप्लीमेंट्री नोटिस मिलने के 60 दिनों के भीतर देना होगा। सेबी ने जनवरी 2019 में सेटलमेंट नियम को लागू किया था। इसके मुताबिक, कोई गलती होने पर कंपनियां फीस भरकर सेबी के साथ उस मामले को सेटल कर सकती हैं।
इसमें अगर कोई रिवाइज सेटलमेंट है तो उसे 15 दिनों के अंदर पूरा करना होगा। इसके तहत सभी पेमेंट केवल पेमेंट गेटवे के तहत ही लिए जाएंगे। इसके अलावा अब आईपीओ में ऑफर फॉर सेल के तहत शेयर्स की बिक्री के नियम भी बदले गए हैं। ऑफर फॉर सेल में मौजूदा हिस्सेदार अपनी हिस्सेदारी बेचते हैं।