इस वित्तवर्ष में भारत की रेटिंग सुधरने की उम्मीद, इकोनॉमी में आ रही है तेजी

मुंबई- रेटिंग एजेंसिया भारत की रेटिंग इस वित्तवर्ष में बढ़ा सकती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इकोनॉमी के कई सारे इंडिकेटर्स अब कोरोना के पहले यानी 2019 की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। दरअसल कोरोना की वजह से मूडीज ने भारत की सॉवरेन रेटिंग को पिछले साल जून में घटा दिया था। उस समय कोरोना के पहले चरण की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर होने की आशंका थी। इसी वजह से मूडीज ने रेटिंग को Baa2 से घटाकर Baa3 कर दिया था।  

पिछले महीने इस इंटरनेशनल फर्म ने कहा था कि भारत में अर्थव्यवस्था की गतिविधियां तेजी पकड़ रही हैं। कोविड प्रतिबंधों के ढीले होने से अर्थव्यवस्था में सुधार दिख रहा है।  वित्त मंत्रालय के अधिकारी रेटिंग एजेंसी मूडीज से 28 सितंबर को मुलाकात किए हैं। कहा जा रहा है कि देश की रिकवरी को देखते हुए रेटिंग अपग्रेड के लिए रेटिंग एजेंसी से कहा गया है। वित्तमंत्रालय ने महंगाई से लेकर फिस्कल डेफिसिट, करेंट अकाउंट सरप्लस आदि के बारे में पूरा ब्यौरा दिया है।  

अगले हफ्ते रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक है। यहां से रिजर्व बैंक अब रेट को स्थिर रखने या फिर उसमें बढ़त करने की शुरुआत कर सकता है। इसी हफ्ते से कंपनियों के दूसरी तिमाही के रिजल्ट आएंगे। रिजल्ट अच्छा रहने की उम्मीद है। कंपनियां निवेश पर खर्च करेंगी, पैसे जुटाएंगी और इससे उनकी क्रेडिट रेटिंग अपग्रेड होगी। फिस्कल डेफिसिट अगस्त में बजट अनुमान की तुलना में 31% था। इसका मतलब सरकार को इकोनॉमी ग्रोथ के लिए खर्च करने में मदद मिलेगी। 8 कोर सेक्टर में सालाना आधार पर अगस्त 2021 में 11.6% की बढ़त रही। GST कलेक्शन सितंबर में 1.17 लाख करोड़ रुपए रहा। सितंबर 2020 की तुलना में 23% ज्यादा है।  

सरकार दूसरी छमाही में 5.03 लाख करोड़ रुपए की उधारी लेगी। यह बजट में लगाए गए अनुमान के करीब ही है। बैंकिंग सिस्टम में लिक्वडिटी सरप्लस 7 लाख करोड़ रुपए है। एडवांस टैक्स कलेक्शन पहली छमाही में 2.53 लाख करोड़ रुपए रहा। पिछले साल की तुलना में यह 56% ज्यादा था। कोरोना के पहले वाले साल यानी 2019 की तुलना में 14.6% ज्यादा था। 

डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन पहली छमाही में 5.7 लाख करोड़ रुपए था। सालाना आधार पर इसमें 74% की बढ़त है। 2019 की तुलना में यह 27% ज्यादा है। 23 करोड़ लोग दो वैक्सीन ले चुके हैं। कुल 88 करोड़ लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। बांड यील्ड की बात करें तो विकसित बाजारों में ज्यादा से ज्यादा 1.48% है। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बांड की यील्ड 1.48% है। कई देशों में यह 1% से नीचे है।  

उभरते हुए बाजारों की बात करें तो भारत में बांड की यील्ड 6.25% है। उससे ज्यादा केवल मैक्सिको की बांड यील्ड है जो 7.39% है। चीन में 2.88% बांड यील्ड है। इसका मतलब यह है कि घरेलू मोर्चे पर अभी भी डेट में अच्छा रिटर्न मिल रहा है। पर्सनल लोन की ग्रोथ अगस्त में 12% रही। पेट्रोल की खपत 13% बढ़ी है। सभी एयरपोर्ट पर यात्रियों की संख्या 131% बढ़ी है। इंडस्ट्री की लोन ग्रोथ 2.25% रही है। डीजल की खपत 15% बढ़ी। ICICI सिक्योरिटीज का मानना है कि कंपनियों की अर्निंग के आधार पर सेंसेक्स 66 हजार और निफ्टी 20 हजार के आंकड़े को जल्द ही पार कर सकता है।  

आदित्य बिड़ला म्यूचुअल फंड के MD&CEO ए. बालासुब्रमणियन कहते हैं कि सरकार इंफ्रा पर खर्च कर रही है और त्योहारीन सीजन की शुरुआत हो चुकी है। हाउसिंग मार्केट हाई इन्वेंटरी वाली स्थिति से बाहर आ रहा है। RBI अपनी दरों को जस का तस रख सकता है। हालांकि बैंकिंग सेक्टर में लिक्विडिटी कम करने का फैसला हो सकता है। GST कलेक्शन और लगातार आर्थिक सुधारों को देखते हुए यह उम्मीद है कि रेटिंग एजेंसी भारत की रेटिंग के पक्ष में फैसला कर सकती हैं।  

आनंद राठी फाइनेंशियल सर्विसेस के नरेंद्र सोलंकी कहते हैं कि इकोनॉमी में सुधार तो है। आगे और अच्छी स्थिति दिख रही है। महंगाई, फिस्कल डेफिसिट और कोविड जैसे मोर्चे पर अच्छा काम हो रहा है। अगर इन सभी मोर्चों पर रेटिंग एजेंसियां सहमत होती हैं तो रेटिंग बढ़ सकती है। रेटिंग बढ़ी तो इसका बहुत ज्यादा फायदा होगा।  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *