फोर्ड भारत में समेटेगी कारोबार, 4 हजार लोगों पर होगा इसका असर

मुंबई- अमेरिकन ऑटोमोबाइल कंपनी फोर्ड ने अपने व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग फैक्ट्रीज को बंद करने का फैसला लिया है। फोर्ड भारतीय बाजार में लंबे समय से संघर्ष कर रही है। कंपनी अपने ग्राहकों को सर्विसेज देना जारी रखेगी। कंपनी को करीब 2 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। 

फोर्ड के इस फैसले का असर उसकी फैक्ट्री में काम करने वाले 4000 कर्मचारियों पर होगा। कंपनी के टॉप मैनेजमेंट ने कर्मचारियों से कहा कि वह भारत में तैयार किए गए पॉपुलर मॉडल जैसे कि फोर्ड फिगो, फोर्ड फ्रीस्टाइल का प्रोडक्शन तेजी से कम करेगा। हालांकि, कंपनी साणंद के इंजन प्लांट को चालू रखेगी।  

फोर्ड इंडिया के प्रेसिडेंट और मैनेजिंग डायरेक्टर, अनुराग मेहरोत्रा ने कहा, “फोर्ड भारत में ग्राहकों को सर्विस और वारंटी सपोर्ट को जारी रखेगी। फिगो, एस्पायर, फ्रीस्टाइल, इकोस्पोर्ट और एंडेवर जैसे मौजूदा प्रोडक्ट की बिक्री मौजूदा डीलर इन्वेंट्री के बेचे जाने के बाद बंद हो जाएगी। फोर्ड का भारत में एक लंबा और गौरवपूर्ण इतिहास है।  

फोर्ड ने अपने साणंद (गुजरात) और मराईमलाई (चेन्नई) स्थित प्लांट्स में मैन्युफैक्चरिंग बंद करने का निर्णय इसलिए लिया है, क्योंकि भारत में उसे कुछ खास मुनाफे के संकेत नहीं दिख रहे हैं। कंपनी देश में अपनी कुछ कारों को इम्पोर्ट करके बेचना जारी रखेगी। यह जनरल मोटर्स की तर्ज पर ही काम करेगी, जो 2017 में भारत से बाहर हो गई थी। 

कंपनी गुजरात के साणंद में अपने इंजन प्लांट को बरकरार रखेगी और भारत में अपने प्रोडक्ट की सर्विस जारी रखेगी। सूत्रों ने कहा कि कंपनी भारत में अपनी मार्की फोर्ड मस्टैंग और फोर्ड एंडेवर की बिक्री जारी रखेगी। 10% से कम क्षमता पर काम कर रहे साणंद व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट के पहले बंद होने की संभावना है। वहीं, चेन्नई प्लांट को ग्लोबल ऑर्डर और भारतीय ऑपरेशन सर्विस के लिए 2022 तक जारी रखा जा सकता है।  

देशभर में कंपनी के 11,000 से अधिक कर्मचारी हैं। भारत में फोर्ड की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट मराईमलाई और साणंद में हैं, जहां पर करीब 4,000 कर्मचारी काम करते हैं। साणंद के इंजन प्लांट में 500 से अधिक कर्मचारी हैं।  

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