मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी हाइड्रोजन सेक्टर में होंगे आमने-सामने

मुंबई- विश्व के सबसे अमीर लोगों में शामिल मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी कार्बन मुक्त ईंधन पर फोकस कर रहे हैं। इनके साथ सरकारी तेल रिफाइनरी कंपनी इंडियन ऑयल और एनटीपीसी जैसी कंपनियां भी इस रेस में आ रही हैं। इसका उपयोग कारों में, घरों में, पोर्टेबल बिजली के लिए और कई अन्य तरह की जरूरतों में किया जा सकता है। 

इसकी लोकप्रियता दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत में भी बढ़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की। उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन दुनिया का भविष्य है। आज मैं ग्रीन हाइड्रोजन का नया वैश्विक केंद्र और इसका सबसे बड़ा निर्यातक बनने के उद्देश्य से राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की स्थापना की घोषणा करता हूं।” 

पहली बार फरवरी में इस साल के केंद्रीय बजट में इस मिशन की घोषणा की गई थी। तब से कंपनियां परियोजनाओं की घोषणा करने के लिए लाइन में लगी हुई हैं। लेकिन न तो बजट में और न ही रविवार को मोदी के भाषण में इसकी उत्पादन या क्षमता के लक्ष्यों को परिभाषित किया गया। ट्रांसपोर्टेशन क्षेत्र के अलावा, हाइड्रोजन का उपयोग कई क्षेत्रों जैसे केमिकल, लोहा और इस्पात, ताप और बिजली में हो सकता है। 

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने हाल ही में 2035 तक नेट कार्बन-जीरो फर्म बनने के लिए सबसे बड़े निजी रिफाइनरी के रूप में हाइड्रोजन प्लांट की घोषणा की। उन्होंने 24 जून को शेयरधारकों से कहा था कि रिलायंस कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की यूजर बनी रहेगी। पर हम उपयोगी उत्पादों और केमिकल्स में बदलने के लिए नई टेक्नोलॉजी को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।  

मार्च में अदाणी ग्रुप ने भारत में ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं को विकसित करने के लिए मैयर टेक्निमोंट के साथ साझेदारी की घोषणा की थी। इंडियन ऑयल कॉर्प उत्तर प्रदेश में अपनी मथुरा रिफाइनरी में एक ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट के निर्माण करने की योजना बना रही है। 

इंडियन ऑयल के चेयरमैन श्रीकांत माधव वैद्य ने पिछले महीने कहा था कि इंडियन ऑयल की राजस्थान में एक पवन ऊर्जा परियोजना है। हम अपनी मथुरा रिफाइनरी को इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से बिल्कुल ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए उस बिजली को चलाने का इरादा रखते हैं।  

हालांकि, दूसरे विकल्पों की तुलना में वर्तमान में हाइड्रोजन का उत्पादन महंगा है। इसकी आपूर्ति और डिस्ट्रीब्यूशन भी एक चुनौती है। पिछले छह वर्षों में भारत ने अपने रिन्यूएबल पावर पोर्टफोलियो को 32 गीगावाट से बढ़ाकर लगभग 100 गीगावाट कर दिया है। 2030 तक भारत 450 गीगावाट रिन्यूएबल ऊर्जा उत्पादन क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ रहा है। 

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