लोन मोरेटोरियम की ब्याज पर अब कोई माफी नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज

मुंबई– कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चलते लोगों को भारी आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में लोग लोन की EMI के भुगतान में राहत मिलने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन उनको मायूसी हाथ लगी है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक पब्लिक इंट्रस्ट लिटिगेशन (PIL) की सुनवाई करते हुए EMI भुगतान की छूट मांगने वाली याचिका को खारिज कर दिया। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोन रिपेमेंट में मोरेटोरियम बढ़ाने और ब्याज को पूरी तरह माफ नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ताओं ने जो राहत मांगी है वह नीति निर्माण के दायरे में आती है। लेकिन हम वित्तीय के मामलों के विशेषज्ञ नहीं हैं। बयान में कहा गया कि सरकार को नीतियों के बारे में निर्देश देना उनका काम नहीं है। सरकार को बहुत से काम करने हैं, जैसे कि लोगों को वैक्सीन लगाना है और प्रवासी मजदूरों का भी ख्याल रखना है। 

PLI फाइल करने वाले लोगों ने दूसरी लहर से होने वाले आर्थिक नुकसान को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में राहत मांग की थी। उन्होंने अपनी याचिका में आर्थिक मुश्किलों और रोजगार के नुकसान के कारण बताए थे। इससे पहले 24 मई को इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई को 11 जून तक टाल दी थी। 

इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में उन याचिकाओं को खारिज किया था जिनमें लोन रिपेमेंट के मोरेटोरियम की अवधि नहीं बढ़ाने के सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के फैसले पर कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा था कि यह पॉलिसी से जुड़ा फैसला है। जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट सरकार की वित्तीय नीतियों की न्यायिक समीक्षा तब तक नहीं कर सकता, जब तक वह गलत और मनमानी न हो। बेंच ने कहा कि अदालत महामारी के दौरान प्राथमिकताएं तय करने के सरकार के फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *