SBI और HDFC बैंक पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, कहा रिजर्व बैंक के आदेश पर रोक लगे
मुंबई– देश के दो सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SB) और HDFC बैंक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। दोनों की मांग है कि रिजर्व बैंक के आदेश पर रोक लगे। इन दोनों का कहना है कि वे संवेदनशील आंकड़ों को जारी नहीं कर सकते हैं।
मामला कुछ ऐसा है। इन दोनों बैंकों ने कहा है कि सूचना के अधिकार (RTI) के तहत वे संवेदनशील आंकड़ों की जानकारी नहीं दे सकते हैं। हालांकि RBI का आदेश है कि आंकड़े RTI के तहत देने चाहिए। इन दोनों बैंकों ने कल सुप्रीम कोर्ट में कहा कि रिजर्व बैंक के इस तरह के आदेश पर रोक लगाई जाए। अगर वे आर्थिक आंकड़े देते हैं तो इससे उनको नुकसान हो सकता है। इन्होंने कहा कि RBI के निर्देश पर रोक लगाई जाए।
दोनों बैंकों का कहना है कि उनके कारोबारी संचालन के लिए यह सही नहीं है। ग्राहकों की जानकारी देना मतलब गोपनीयता से समझौता करना है। हालांकि यह निर्देश RBI के खिलाफ मांगा गया था, लेकिन इसका उद्देश्य SC के उस आदेश पर केन्द्रित था जिसने इस तरह के आंकड़ों को देने की मंजूरी दी थी। कोर्ट ने पहले RBI को सूचना के अधिकार कानून के तहत खुलासे से रोका था।
SBI ने अपने वकील संजय कपूर के माध्यम से कहा कि RBI RTI के तहत अपने कर्मचारियों और उसके ग्राहकों की जानकारी सहित बैंक की गोपनीय और संवेदनशील जानकारी का खुलासा करने की मांग कर रहा है। हालांकि उसे अधिनियम की धारा 8 के प्रावधानों के तहत छूट मिली है।
SBI और HDFC की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी पेश हुए। उन्होंने जज एल एन राव और अनिरुद्ध बोस की पीठ को बताया कि बैंकों की निरीक्षण रिपोर्ट/जोखिम आंकलन रिपोर्ट/वार्षिक वित्तीय निरीक्षण रिपोर्ट जैसी संवेदनशील सूचनाओं का खुलासा करने से उनके समक्ष मुश्किलें पेश आ जाएंगी। प्रतिस्पर्धी बैंक या कंपनियां इसका फायदा उठाने लगेंगे जो कि बैंकों के हित में नहीं होगा। कोर्ट ने इससे पहले RBI को सूचना के अधिकार कानून के तहत ऐसी खबरों का खुलासा करने से रोक दिया था।
बता दें कि RTI के तहत बैंकों से ऐसी जानकारियां मांगी जाती हैं, जिनको देना संभव नहीं होता है। कई बार बैंकों से ऐसी जानकारियां मांगी जाती हैं। हालांकि ज्यादातर आंकड़े बैंकों के स्टॉक एक्सचेंज और रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर होते हैं, फिर भी कुछ गोपनीय आंकड़े मांगे जाते हैं जो बैंक नहीं देते हैं।