NSE, CIEL और AMC ने मिलाए हाथ, 3 सालों में 50 हजार से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर बनाने का लक्ष्य
मुंबई– वितरकों की कमी से जूझ रही देश की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री को एक नई संजीवनी मिलने वाली है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE), असेट मैनेजमेंट कंपनियां (AMC) और CIEL ने हाथ मिलाया है। इसके तहत अगले 3 सालों में इस सेक्टर के लिए 50 हजार से ज्यादा वितरक तैयार किए जाएंगे। इससे फंड इंडस्ट्री को देशभर में पहुंचाने में मदद मिलेगी।
दरअसल म्यूचुअल फंड में कमीशन कम होने की वजह से इसमें ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर दिलचस्पी नहीं लेते हैं। देश में कुल कहने को तो 70 हजार डिस्ट्रीब्यूटर हैं, लेकिन सक्रिय रूप से महज 30 हजार ही डिस्ट्रीब्यूटर हैं। जबकि 130 करोड़ की आबादी, 44 म्यूचुअल फंड कंपनियां और 31 लाख करोड़ रुपए के एयूएम में डिस्ट्रीब्यूटर्स की संख्या बहुत कम है। यही कारण है कि अब इसे रफ्तार देने की योजना बन रही है। इसकी तुलना में देखें तो बीमा इंडस्ट्री में 24 लाख एजेंट हैं। क्योंकि वहां कमीशन ज्यादा है।
देश में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री एक ऐसी इंडस्ट्री है जो सबसे पारदर्शी और कम खर्च वाली इंडस्ट्री है। यहां पर निवेशक को यह पता होता है कि उसका पैसा कहां निवेश किया जाता है और कितना बढ़ रहा है और उसमें एजेंट को कमीशन कितना मिल रहा है। साथ ही इसे सेबी द्वारा रेगुलेट किया जाता है जो कि एक बेहतरीन इंडस्ट्री के रूप में उभरा है।
इस पूरी रणनीति के पीछे एक्सपर्ट एमएफडी (ExpertMFD) है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और सेंटर फॉर इन्वेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (CIEL) से हाथ मिलाने वाले कुछ कुछ प्रमुख नामों में आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्युचुअल फंड, एक्सिस म्यूचुअल फंड, एचडीएफसी म्यूचुअल फंड, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, एलएंडटी फंड, निप्पॉन इंडिया फंड, एसबीआई फंड और सुंदरम एमएफ आदि शामिल हैं।
जानकारों का मानना है कि अगले दशक में भारतीय फंड इंडस्ट्री 100 लाख करोड़ रुपए की हो सकती है। हालांकि, वर्तमान में हर 17,000 लोगों पर सिर्फ 1डिस्ट्रीब्यूटर है। इसका मतलब यह है कि देश में लोगों के रोजगार के लिए एक बड़ा अवसर अभी भी इस सेक्टर में मौजूद है। कुछ ऐसे भी डिस्ट्रीब्यूटर इस सेक्टर में हैं जिनका कमीशन सालाना 1 करोड़ रुपए से अधिक है।
CIEL के एमडी हिमांशु व्यापक ने कहा कि भारत में हमारे पास करीब 2.3करोड़ फंड निवेशक हैं। हालांकि इसका असेट तो बढ़ा है, पर डिस्ट्रीब्यूटर नहीं बढ़े हैं। वे कहते हैं कि डिस्ट्रीब्यूटर बनने के इच्छुक लोगों के लिए हमारा प्रयास उनके लिए भविष्य में एक मजबूत नींव और एक मजबूत विकास का माहौल तैयार करना है। इतना ही नहीं दूसरे चरण में इस प्लेटफॉर्म के जरिए इन वितरकों को अन्य वित्तीय उत्पादों के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
जो म्यूचुअल फंड कंपनियां इसमें शामिल हैं, उन्होंने कहा कि यह इंडस्ट्री अगले लेवल के विकास के लिए तैयार है। अगले 10 वर्षों में इसके 100 लाख करोड़ रुपए होने की उम्मीद है। चूंकि अभी कम वितरक ही अधिक से अधिक ग्राहकों को सर्विस प्रदान कर रहे हैं, ऐसे में इंडस्ट्री से जुड़े और अपनी छाप छोड़ने के लिए नए फाइनेंशियल डिस्ट्रब्यूटर्स के पास काफी अवसर है। उद्योग की सफलता बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगी कि हम वितरक नेटवर्क के विस्तार और ग्रामीण भारत में कदम बढ़ाने की दिशा में कैसे काम करते हैं। हम इस परियोजना को सफल बनाने के लिए वर्षों के अनुभव औऱ इस दौरान मिली सीख का उपयोग करना चाहते हैं।
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का एयूएम पिछले 6 सालों में 3 गुना बढ़ा है। अभी भी केवल 2 पर्सेंट ही आबादी निवेश कर रही है। बैंक डिपॉजिट की तुलना में म्यूचुअल फंड का एयूएम अभी केवल 18 पर्सेंट है। विश्व में जीडीपी की तुलना में फंड कंपनियों का एयूएम 63 पर्सेंट है जबकि भारत में यह केवल 12 पर्सेंट है।