अप्रैल में 1,019 कंपनियों की रेटिंग घटी, 274 कंपनियां हुईं अपग्रेड

मुंबई– कोरोना की दूसरी लहर में कंपनियों पर रेटिंग का असर होने लगा है। अप्रैल महीने में कुल 1,019 कंपनियों की रेटिंग डाउनग्रेड हो गई, जबकि 274 की रेटिंग अपग्रेड की गई। डाउनग्रेड होने वाली कंपनियों में वे हैं, जिन पर कोरोना का ज्यादा असर होने की आशंका है।  

एसबीआई की जारी रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा डाउनग्रेड कैपिटल गुड्स- नॉन इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट में हुआ है। ये निवेश से संबंधित सेक्टर है। इसमें कुल 216 कंपनियों की रेटिंग डाउनग्रेड की गई है। जबकि 62 की रेटिंग अपग्रेड की गई है। कंज्यूमर ड्यूरेबल और अपैरल यानी महंगे सामान और कपड़ों वाले सेक्टर में 119 कंपनियों की रेटिंग डाउन ग्रेड हुई है। 29 की अपग्रेड हुई है।  

टेक्सटाइल्स में 82 कंपनियों को डाउनग्रेड किया गया है। 18 को अपग्रेड किया गया है। यानी सीधा अर्थ यह है कि घरों में बंद रहने से कपड़ों की मांग घट गई है। पिछले करीबन 14-15 महीनों से लोग घरों में कैद हैं। इसलिए कपड़ों की मांग कम हो गई है। फार्मा एक सदाबहार सेक्टर है। इसकी मांग हमेशा रहती है। यही कारण है कि इसमें केवल 7 कंपनियां डाउनग्रेड हुई हैं, जबकि उससे ज्यादा 9 कंपनियों की रेटिंग अपग्रेड हो गई है।  

होटल और रेस्टोरेंट भी लगातार बंद हैं। इसलिए इस सेक्टर में असर दिखा है। इसमें कुल 12 कंपनियां डाउनग्रेड हो गई हैं। जबकि रिटेलिंग सेक्टर में 91 कंपनियां डाउनग्रेड हुई हैं और केवल 6 अपग्रेड हो पाई हैं। कंस्ट्रक्शन और इंजीनियरिंग सेक्टर में कुल 103 कंपनियों को डाउन ग्रेड किया गया है। जबकि 23 को अपग्रेड किया गया है। मेटल्स और माइनिंग में 53 को डाउनग्रेड किया गया है जब, 15 को अपग्रेड किया गया है। स्टील सेक्टर में भी अपग्रेड से ज्यादा डाउनग्रेड रहा है। इसमें कुल 41 कंपनियों की रेटिंग डाउन की गई है जबकि 13 की रेटिंग बढ़ा दी गई है।  

आईटी में 10 कंपनियों की रेटिंग बढ़ी है लेकिन 25 की रेटिंग को कम कर दिया गया है। फाइनेंशियल यानी बैंकिंग और इस सेक्टर की अन्य कंपनियों में 3 की रेटिंग बढ़ा दी गई है। जबकि 21 की रेटिंग को घटा दिया गया है। 23 अप्रैल के बाद से भारत में करीबन 48 लाख नए कोरोना के मामले आए हैं। यह हर राज्यों और जिलों में फैले हुए हैं। रिपोर्ट कहती है कि इससे यह संकेत मिलता है कि इस चालू वित्त वर्ष में दो अंकों में यानी 10% की GDP यानी देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर हासिल करने में थोड़ी दिक्कत हो सकती है।  

हालांकि कोरोना की वजह से लोगों की बचत बैंकों में जा रही है। चार सालों में यह पहली बार है जब बैंकों की डिपॉजिट बढ़ी है। वित्त वर्ष 2017 में बैंकों में डिपॉजिट 1.42 लाख करोड़ घटी थी जबकि उधारी 2.68 लाख करोड़ रुपए घटी थी। 2018 में डिपॉजिट 1.93 लाख और उधारी 2.59 लाख करोड़ रुपए घटी। 2019 में डिपॉजिट में 44 हजार 628 करोड़ रुपए की कमी आई जबकि उधारी में 1.07 लाख करोड़ रुपए की कमी आई थी। वित्त वर्ष 2019-20 में बैंकों की डिपॉजिट 89 हजार करोड़ घटी जबकि उधारी 1.50 लाख करोड़ घटी थी।  

हालांकि 2020 अप्रैल से 2021 मार्च के दौरान डिपॉजिट 1.55 लाख करोड़ रुपए बढ़ी जबकि उधारी की मांग 97,445 करोड़ रुपए घट गई। इस वित्त वर्ष के पहले महीने यानी अप्रैल में डिपॉजिट में 1.01 लाख करोड़ रुपए की बढ़त आई है। उधारी में 60 हजार करोड़ रुपए की कमी आई है। पिछले साल और इस साल डिपॉजिट में इसलिए बढ़त आई क्योंकि कोरोना की वजह से लोगों का खर्च कम हो गया। ये वे खर्च हैं जो बाहर घूमने, खाने और अन्य चीजों पर होते थे। वे अब पूरी तरह से लोगों के घरों में कैद होने से बंद हो गए हैं।  

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