1.71 लाख हेल्थ क्लेम अटके, इंश्योरेंस कंपनियों के पास 6,649 करोड़ रुपए फंसे

मुंबई– देश भर में लोगों के 1.71 लाख स्वास्थ्य बीमा के दावे बीमा कंपनियों के पास अटके पड़े हैं। एक ओर जहां रेगुलेटर जल्द से जल्द बीमा के दावों को पास करने की बात कह रहा है, वहीं इस तरह के मामले से लोग परेशान हैं। कुल 6,649 करोड़ रुपए के दावे किए गए हैं। 

जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (GIC) के आंकड़ों के मुताबिक, मे़डिकल खर्च से संबंधित कुल 1.71 लाख हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम के तहत 6,649 करोड़ रुपए के दावे किए गए हैं। यह दावे बीमा कंपनियों के पास अभी तक मंजूर नहीं हो पाए हैं। 28 अप्रैल तक कुल 11 लाख कोविड-19 के दावे बीमा कंपनियों के पास किए गए। इसमें से 9 लाख 30 हजार 729 दावों को सेटल किया गया। इनकी कुल रकम 8,918.57 करोड़ रुपए थी। 

कुछ बीमा कंपनियों ने बताया कि दावों के पेमेंट में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि अस्पतालों ने जो बिल बनाया है, वह उनके मुताबिक नहीं है। उसमें ढेर सारे चार्जेस ऐसे लगाए गए हैं, जो कि बीमा के क्लेम में नहीं आते हैं। बीमा कंपनियों का कहना है कि कोरोना में अस्पताल मनमाने चार्ज लगा रहे हैं। इसमें वे अस्पतालों की साफ-सफाई का भी चार्ज लगा रहे हैं, जो कि बीमा के दायरे में नहीं आता है।  

साथ ही जो अस्पताल बीमा कंपनियों के नेटवर्क में नहीं हैं, वहां पर कैशलेस की सुविधा नहीं है। ऐसे अस्पतालों में मरीज को पहले पैसा देना होता है, फिर वह बीमा कंपनी से उसे लेता है। देश भर में ऐसे ज्यादा अस्पताल हैं, जो बीमा कंपनियों के नेटवर्क में नहीं है। बीमा कंपनियों के नेटवर्क में बड़े अस्पताल हैं जो कि कोरोना के मरीजों से पूरी तरह से भरे हैं और उनमें जगह नहीं है। इसलिए मरीजों को छोटे अस्पतालों में जाना पड़ रहा है।  

आंकड़े बताते हैं कि महाराष्ट्र में कुल 4 लाख 75 हजार दावे आए हैं जिसमें से 3.36 लाख दावों को सेटल किया जा चुका है। इसके तहत 4,721 करोड़ रुपए के दावे किए गए, लेकिन 2,713 करोड़ रुपए ही पॉलिसीधारकों या अस्पताल को मिले हैं। इसी तरह से गुजरात में 1.41 लाख मामलों में 2,056 करोड़ के दावे किए गए थे। इसमें से 1.19 लाख दावों को मंजूर किया गया और इसके तहत 1,228 करोड़ रुपए दिए गए हैं।  

कर्नाटक में 81 हजार 208 दावे किए गए। इसमें 69 हजार 753 मामलों के तहत 640 करोड़ रुपए की रकम दी गई है। जबकि दावे की रकम 1,143 करोड़ रुपए थी। तमिलनाडु में 79,309 दावों के तहत 1,308 करोड़ रुपए मांगे गए। पर 68 हजार 565 दावों के तहत केवल 692 करोड़ रुपए का पेमेंट किया गया। दिल्ली में 64 हजार दावे पॉलिसीधारकों ने किए। इसमें 1,152 करोड़ रुपए का दावा था। पर 56,773 दावों के तहत 703 करोड़ रुपए दिए गए।  

दरअसल अस्पतालों का कहना है कि वे उसी रेट का पालन करेंगे जो सर्विस लेवल एग्रीमेंट में मंजूर हैं। बीमा रेगुलेटर ने शुक्रवार को ही कैशलेस अथॉराइजेशन के समय को 2 घंटे से घटाकर 1 घंटे कर दिया है। मई 2020 के बाद से देश में अस्पतालों ने अचानक इलाज की लागत बढ़ा दी है। भारी-भरकम बिल के बाद ही राज्य सरकारों ने और बीमा कंपनियों ने यह तय किया कि एक दिन में एक औसत बिल से ज्यादा का बिल नहीं बनना चाहिए। इस स्टैंडर्ड रेट के तहत अस्पतालों की कैटिगरी के आधार पर उनका रेट तय किया गया।  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *