एसबीआई ने रिजर्व बैंक के नियमों को ताक पर रखा, ग्राहकों से वसूला 300 करोड़ रुपए
मुंबई– देश के सबसे बड़े बैंक SBI समेत कई बैंक जीरो बैंलेस या बेसिक सेविंग बैंक डिपॉजिट अकाउंट्स से जुड़ी कुछ सेवाओं पर अधिक चार्जेज वसूलते हैं। यह आरबीआई के नियमों का उल्लंघन है। यह खुलासा IIT Bombay की एक स्टडी से हुआ है।
स्टडी के मुताबिक इन खातों से अगर निर्धारित चार बार से अधिक समय ट्रांजैक्शन किया जाता है तो हर ट्रांजैक्शन पर एसबीआई 17.70 रुपये का चार्ज वसूलता है। इसे रिजनेबल नहीं कहा जा सकता है। स्टडी में पाया गया कि 2015-20 के पांच वर्षों में एसबीआई ने करीब 12 करोड़ बेसिक सेविंग बैंक डिपॉजिट अकाउंट्स से करीब 300 करोड़ रुपये सर्विस चार्ज के तौर पर वसूल किए हैं। इसमें से 72 करोड़ का सर्विस चार्ज 2018-19 में और 158 करोड़ रुपये का सर्विस चार्ज 2019-20 में कलेक्ट हुआ था।
एसबीआई ने एक महीने में चार बार से ज्यादा ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने पर भी सर्विस चार्ज वसूल किया है। देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक की बात करें तो उसने भी 3.9 करोड़ जीरो बैलेंस खातों से पांच साल में 9.9 करोड़ रुपये कलेक्ट किए। इस प्रकार के सबसे अधिक खाते एसबीआई में हैं। इसने एक महीने में चार से अधिक बार किए प्रत्येक ट्रांजैक्शन पर चाहे वे डिजिटली किए गए हों, उन पर 17.70 रुपये की दर से चार्ज वसूल किए।
बीएसबीडीए पर चार्जेज सितंबर 2013 में आरबीआई द्वारा लाए गए गाइडलाइंस के मुताबिक निर्धारित होता है और उसके मुताबिक खाताधारक को एक महीने में चार से अधिक बार निकासी का अधिकार है। आरबीआई नियमों के मुताबिक जब तक सेविंग्स डिपॉजिट अकाउंट बीएसबीडीए है, तब तक बैंक उस पर कोई सर्विस चार्ज नहीं वसूल सकती है। यहां तक कि इन खातों पर बैंक वैल्यू एडेड बैंकिंग सर्विसेज को लेकर भी चार्ज नहीं वसूल कर सकती जिसे बैंक अपने विवेक के आधार पर ऑफर करती है।
ऐसा नहीं है कि सिर्फ एटीएम से ही एक महीने में चार से अधिक बार विदड्रॉल पर बैंक सर्विस चार्ज वसूल कर रही बल्कि स्टडी के मुताबिक एसबीआई ने मर्चेंट पेमेंट्स के लिए एनईएफटी, आईएमपीएस, यूपीआई, भीम-यूपीआई और डेबिट कार्ड्स के इस्तेमाल पर भी सर्विस चार्ज लिए।
एसबीआई ने जब यूपीआई/भीम-यूपीआई और रूपे डिजिटल पेमेंट्स के लिए चार्ज वसूल करना शुरू किया तो आरबीआई से शिकायत की गई लेकिन उसने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद सरकार से शिकायत की गई। केंद्र सरकार ने 30 अगस्त 2020 को बैंकों को निर्देश दिया कि 1 जनवरी 2020 से खाताधारकों से लिए सभी सर्विस चार्जेज को उन्हें वापस किया जाए और अगर ऐसा न हुआ तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।