म्यूचुअल फंड के निवेशक इक्विटी फंड का पूरा फायदा नहीं उठा पा रहे हैं- एक्सिस म्यूचुअल फंड
मुंबई– म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशक इक्विटी म्यूचुअल फंड के ऊंचे रिटर्न का पूरा फायदा नहीं उठा पा रहे हैं। वर्ष 2003 से लेकर 2020 के बीच म्यूचुअल फंड्स का रिटर्न एसआईपी और निवेशक को मिले रिटर्न से ज्यादा रहा है। एक स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक, म्यूचुअल फंड्स ने करीब 19 फीसदी रिटर्न दिया है, लेकिन निवेशकों का वास्तविक रिटर्न 13% के आसपास रहा है।
एक्सिस एएमसी की इस रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, रिटर्न के मामले में निवेशकों का व्यवहार असर डालता है। वे आम तौर पर छोटी अवधि का लक्ष्य लेकर चलते हैं, फंड के हालिया प्रदर्शन पर भरोसा करते हैं और बाजार में उतार-चढ़ाव पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हैं। इस वजह से उनका रिटर्न फंड के रिटर्न से कम रहता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इक्विटी और हाइब्रिड म्यूचुअल फंड्स में वर्ष 2003 से 2020 के बीच इक्विटी फंड्स ने सबसे अधिक 18.7% रिटर्न दिया है, जबकि इनमें पैसा लगाने वाले निवेशकों का रिटर्न 13.2% रहा है। इस दौरान एसआईपी (सिस्टमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान) ने 14.5% रिटर्न दिया है। समान अवधि में हाइब्रिड फंड्स ने 12.2% रिटर्न दिया है, जबकि इनके निवेशकों का रिटर्न 9.3% और एसआईपी का रिटर्न 11.1% रहा है।
एक्सिस एएमसी रिसर्च ने म्यूचुअल फंड्स की तीन अलग-अलग श्रेणियों- इक्विटी, हाइब्रिड (मल्टी-एसेट) और डेट फंड्स के परफॉर्मेंस का निवेशकों और एसआईपी के रिटर्न से तुलनात्मक अध्ययन किया है। इसके मुताबिक 2009 से 2020 के बीच डेट म्यूचुअल फंड्स का रिटर्न एसआईपी से कुछ कम, लेकिन निवेशकों के रिटर्न से थोड़ा अधिक रहा है। इन 12 वर्षों में डेट फंड्स ने 7.8% रिटर्न दिया है, जबकि इनमें पैसा लगाने वाले निवेशकों का रिटर्न 7.7% और एसआईपी का रिटर्न 8.1% रहा है।
इस स्टडी रिपोर्ट की अहमियत इसलिए बढ़ जाती है क्यों कि साल 2020 में कोरोना महामारी के बीच शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया। पहले भी जब कभी बाजार में भारी गिरावट आई है, निवेश प्रभावित हुआ है। यही रुझान पिछले साल भी देखने को मिला, खास तौर पर इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में। पिछले साल की शुरुआत में निवेशकों ने इक्विटी फंड्स में खूब पैसा लगाया, लेकिन 2020 की दूसरी छमाही में उनका रुख पलट गया। इसमें शेयर बाजार में रिकॉर्ड तेजी के बाद करेक्शन की अहम भूमिका रही। नतीजतन म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की एसआईपी बुक में भारी गिरावट आई। कई निवेशक, जिनकी एसआईपी मैच्योर हो गई, उन्होंने गिरावट का रुख देखते हुए एसआईपी को रिन्यू नहीं कराया। कई निवेशक ऐसे भी रहे, जिन्होंने चालू एसआईपी आगे जारी न रखने का फैसला किया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शेयर बाजार में कुछ समय के लिए आए करेक्शन को देख लंबी अवधि की एसआईपी रोकना सही कदम नहीं है। इससे पोर्टफोलियो के लम्बी अवधि के लक्ष्यों को भी भारी नुकसान पहुंचता है क्योंकि इसमें निवेशक शेयरों की कीमत में कम्पाउंडिंग (गिरावट के दौर में ज्यादा यूनिट अलॉट होती है) की ताकत का फायदा उठाने से चूक जाते हैं।