परमबीर ने लगाया आरोप, जांच जल्दी हो, सीसीटीवी गायब कर सकते हैं अनिल देशमुख
मुंबई– महाराष्ट्र के होमगार्ड के महानिदेशक (DG) परमबीर सिंह ने गृहमंत्री अनिल देशमुख पर जो आरोप लगाए हैं, उसमें दम दिख रहा है। कुछ पूर्व पुलिस अधिकारियों का मानना है कि अगर DG लेवल का अधिकारी इस तरह से खुलेआम चुनौती दे रहा है तो निश्चित तौर पर इसमें हकीकत है। साथ ही गृहमंत्री से पंगा लेने वाले परमबीर सिंह हाल के दिनों में पहले पुलिस अधिकारी हैँ। हालांकि राज्य के 2 ऐसे IPS अधिकारी रहे हैं जो सरकार से पंगा तो नहीं लिए, पर वे यहां से केंद्र सरकार में चले गए।
पूर्व IPS अधिकारी और इस समय स्टेट पुलिस कंप्लेंट्स अथॉरिटी के सदस्य पी.के. जैन कहते हैं कि पहली बार राज्य में ऐसा हुआ है, जब किसी सीटिंग डीजी ने इस तरह का गृहमंत्री पर आरोप लगाया है। अब देखना होगा कि इसकी जांच कौन करेगा? न तो मुंबई पुलिस कर सकती है, न एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) करेगी और न कोई रिटायर्ड DG करेगा। क्योंकि सबके अपने-अपने हित हैं। दूसरी बात, अगर केंद्र सरकार की एजेंसी जांच करती है तो फिर राज्य सरकार और केंद्र सरकार आमने-सामने होंगी, जैसा कि कुछ मामलों में हाल में हुआ है।
वे कहते हैं कि जब वे मुंबई में कार्यरत थे और उस समय के मुख्यमंत्री की भर्ती से संबंधित कुछ बातों को नहीं सुने तो उन्हें नांदेड़ भेज दिया दिया गया। इसी तरह जब वे नांदेड़ गए तो उस समय भी कुछ विधायकों ने इसी तरह का दबाव डाला। वैसे भाजपा सरकार जब से राज्य से हटी है, आईपीएस अधिकारी वर्तमान सरकार से खासे नाराज हैं।
2 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों ने तो मुंबई से अपना तबादला ही करा लिया। इसमें महाराष्ट्र के DG सुबोध जायसवाल 30 दिसंबर को सीआईएफएस के DG बने हैं। 1985 बैच के वे आईपीएस हैं। 28 फरवरी 2019 को वे डीजीपी बने थे। इससे पहले मुंबई 30 जून 2018 को वे मुंबई के पुलिस कमिश्नर बने थे। उससे पहले वे केंद्र सरकार में ही प्रतिनियुक्ति पर थे।
जायसवाल ही वे अधिकारी हैं, जब महाराष्ट्र में अरबों के फर्जी स्टैंप घोटाले में एसआईटी के वे प्रमुख थे और उस समय मुंबई के पुलिस कमिश्नर आर.एस शर्मा को रिटायर होने के एक दिन बाद ही वे गिरफ्तार कर लिए थे। इसी मामले में उस समय भी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के गृहमंत्री छगन भुजबल पर भी गाज गिरी थी। छगन भुजबल जेल गए और आज फिर से मंत्री हैं। अब मामला अनिल देशमुख और मुंबई पुलिस के बीच का है।
दूसरी अधिकारी रश्मि शुक्ला हैं। वे पुणे की पुलिस कमिश्नर रह चुकी हैं। इसके बाद वे स्टेट इंटेलीजेंस डिपार्टमेंट (एसआईडी) की कमिश्नर बनीं। रश्मि शुक्ला भी गृहमंत्री की ट्रांसफर और भर्ती के भ्रष्टाचार की वजह से सरकार से पंगा ले लीं। उन्होंने इसकी शिकायत उस समय के डीजी से की, मुख्यमंत्री से की। जब उनकी नहीं सुनी गई तो वे भी सीआरपीएफ में एडीजी के रूप में प्रतिनियुक्ति पर चली गईं। 9 फरवरी 2021 को वे सीआरपीएफ में गईं। ठाकरे सरकार आने के बाद उनको साइड लाइन कर दिया गया था।
अब इसी मुद्दे को परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में उठाया है। सुप्रीम कोर्ट में परमबीर सिंह ने अपनी अप्लीकेशन में यही कहा है कि 24-25 अगस्त, 2020 को राज्य खुफिया विभाग के इंटेलिजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला ने पुलिस महानिदेशक (DGP) को और फिर डीजीपी ने गृह मंत्रालय में अतिरिक्त मुख्य सचिव को अनिल देशमुख की तरफ से ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार किए जाने की जानकारी दी थी। ये जानकारियां टेलिफोन पर हुई बातचीत को रिकॉर्ड करके जुटाई गई थीं। इस पर अनिल देशमुख के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उल्टे रश्मि शुक्ला को ही ठिकाने लगा दिया गया।
तीसरे आईपीएस मनोज कुमार शर्मा हैं। वे हालांकि अभी भी मुंबई में हैं। पर ऐसा कहा जा रहा है कि वे जल्द ही सीआईएसएफ में जा रहे हैं। वे यहां पर एडिशनल कमिश्नर हैं। लेकिन कहा जा रहा है कि वे भी मुंबई से दूर जाना चाहते हैं। ऐसे में जब से महाविकास आघाड़ी की सरकार आई है, आईपीएस अधिकारी यहां से केंद्र में जा रहे हैं।
उधर परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में जो अपील दायर की है, उसमें उन्होंने बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि अगर उनके आरोपों की जांच जल्दी नहीं की गई तो हो सकता है कि अनिल देशमुख सभी सबूतों को मिटा दें और सीसीटीवी को नष्ट कर दें। इसलिए इसकी जल्द से जल्द जांच की जाए।
बता दें कि महाराष्ट्र में डीजी की कुल 8 पोस्ट है। इसमें से 3 आईपीएस अधिकारी डी कनकरत्रम, बिपिन बिहारी, एसएन पांडे रिटायर हो चुके हैं। जबकि 3 आईपीएस अभी एडीजी रैंक के हैं जो जल्द ही प्रमोशन होकर डीजी बनेंगे। अगर वे डीजी नहीं बनते हैं तो डीजी की पोस्ट को घटाकर एडीजी रैंक की की जा सकती है। मुंबई पुलिस कमिश्नर की पोस्ट भी डीजी रैंक की ही मानी जाती है।