स्पाइसजेट और टाटा ग्रुप में एयर इंडिया को खरीदने की रेस
मुंबई– सरकारी विमानन कंपनी एअर इंडिया को खरीदने के लिए अब केवल टाटा ग्रुप और प्राइवेट एअरलाइन स्पाइसजेट ही कतार में बचे हैं। अन्य कंपनियों के आवेदन खारिज हो चुके हैं। इस मामले से वाकिफ सूत्रों ने यह जानकारी दी है। सूत्रों के मुताबिक, अन्य कंपनियों के एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) मूल्यांकन के स्तर पर खारिज हो चुके हैं। एअर इंडिया को खरीदने के लिए कई कंपनी ने EoI दाखिल की थी।
सूत्रों के मुताबिक, एअर इंडिया के ट्रांजेक्शन एडवाइजर इच्छुक खरीदारों के संपर्क में हैं। ट्रांजेक्शन एडवाइजर इच्छुक खरीदारों के प्रश्नों का जवाब दे रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि सरकार के संतुष्ट होने के बाद ही योग्य खरीदारों को सूचना दी जाएगी। टाटा संस और स्पाइसजेट के अलावा टाटा संस और न्यूयॉर्क के इंटरप्स इंक का जॉइंट वेंचर भी एअर इंडिया को खरीदने का इच्छुक हैं। इटरप्स इंक अमेरिका और यूरोप के नॉन रेजिडेंट इंडियन (NRI) निवेशकों का ग्रुप है।
एअर इंडिया को खरीदने के लिए कई कंपनियों ने EoI जमा की थी। डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक असेट मैनेजमेंट (DIPAM) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने यह जानकारी दी थी। एअर इंडिया की बिक्री की प्रक्रिया को दो चरणों में बांटा गया है। पहले चरण में इच्छुक कंपनियों की ओर से EoI मांगे गए हैं। योग्यता के आधार पर इनमें से सफल EoI का चयन किया जाएगा। दूसरे चरण में सफल खरीदारों को रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) दिया जाएगा। एअर इंडिया की बिक्री की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होगी।
सरकारी विमानन कंपनी एअर इंडिया को खरीदने के लिए इसके 209 पूर्व कर्मचारियों के ग्रुप ने भी आवेदन किया था। इसके अलावा एस्सार ग्रुप, पवन रुइया की कंपनी डनलप और फाल्कन टायर्स ने भी एअर इंडिया को खरीदने के लिए EoI जमा की थी। वित्त वर्ष 2020-21 में इसका घाटा 10 हजार करोड़ रुपए होने की आशंका है। जिससे कंपनी का वैल्यूएशन घट सकता है। इससे एअर इंडिया को बेचने में सरकार को और दिक्कत हो सकती है।
एअर इंडिया को बेचने की कोशिश काफी लंबे समय से हो रही है। 20 साल पहले से इसे बेचा जा रहा है। उस समय 20% हिस्सेदारी बेचने की बात हो रही थी। हालांकि, इस समय इसकी पूरी हिस्सेदारी बेचने की योजना है। अब तक ढेर सारी कंपनियों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है। पर सरकार की शर्तों और इसके भारी-भरकम कर्ज के कारण कोई खरीदार नहीं आ पा रहा है। टाटा ग्रुप अभी भी इसको खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहा है। क्योंकि टाटा ग्रुप ने ही इसकी शुरुआत की थी। टाटा ग्रुप के सामने यह दिक्कत है कि वह एअर एशिया और विस्तारा में पहले से ही भागीदार है।