6 हजार से ज्यादा कंप्लायंस को हटा सकती है सरकार, अनगित फॉर्म भरने से मिलेगा छुटकारा
मुंबई– राज्य और केंद्र, दोनों स्तर पर सरकार बिजनेस को आसान करने की योजना बना रही है। ऐसे 6 हजार कंप्लायंस यानी प्रोसेस को सरकार हटा सकती है। ये वो प्रोसेस हैं, जिनका अब बहुत ज्यादा मतलब नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार बिजनेस में आसानी लाना चाहती है। इसलिए इस तरह की चीजों को (कंप्लायंस की जरूरतों) को खत्म कर रही है। उन्होंने कहा कि हम इसे गंभीरता से ले रहे हैं। अनगिनत फॉर्म भरने की अनिवार्यता को खत्म करना होगा। मोदी ने प्रोडक्शन से जुड़ी प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना पर वेबिनार से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस मामले में इंडस्ट्री के लोगों का सुझाव महत्वपूर्ण है।
यह विचार मोदी की मैरियट इंटरनेशनल के अध्यक्ष और चीफ एग्जीक्यूटिव अर्ने सोरेनसन से मुलाकात के दौरान आया। उन्होंने भारत में होटल शुरू करने और चलाने में जटिल नियमों के बारे में शिकायत की थी। नेशनल रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) के एक अध्ययन का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि एक रेस्तरां खोलने के लिए दिल्ली पुलिस से लाइसेंस प्राप्त करने के लिए 45 किस्म के दस्तावेजों की जरूरत होती है। नए हथियार के लाइसेंस के लिए (19) और फायरवर्क्स के लाइसेंस के लिए कम से कम 12 दस्तावेज जुटाने होते हैं।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि अधिकांश फर्मों के सामने एक बड़ी चुनौती गवर्नेंस फ्रेमवर्क की जटिलता है। इसमें पुराने किस्म के ढेरों कानून शामिल हैं। मोदी ने कहा कि पीएलआई के मामले में सरकार उन देशों के नियमों को भी देख रही है जो मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देकर विकास में तेजी लाने में सफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग फर्मों को भारत को अपना आधार बनाना चाहिए। हमारे घरेलू उद्योग, हमारे छोटे और मझोले उद्योगों (एमएसएमई) की संख्या और ताकत का ज्यादा से ज्यादा विस्तार होना चाहिए।
सरकार ने अगले 5 वर्षों में भारत में लगभग 520 अरब डॉलर का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपए की 13 पीएलआई योजनाओं की घोषणा की है। मोदी ने कहा कि आईटी हार्डवेयर को चार साल में 3 लाख करोड़ रुपए मूल्य का उत्पादन हासिल होने का अनुमान है। टेलिकॉम गियर मैन्युफैक्चरिंग में 2.5 लाख करोड़ रुपए की बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। हमें इससे 2 लाख करोड़ रुपए के सामानों का निर्यात करने में सक्षम होना चाहिए।