फ्रैंकलिन टेंपलटन में ऐसे हुई इनसाइडर ट्रेडिंग, स्कीम बंद होने से पहले ही अधिकारियों और रिश्तेदारों ने निकाल लिए थे पैसे
मुंबई– फ्रैंकलिन टेंपलटन की डेट स्कीमों के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। खबर है कि स्कीम बंद होने से पहले इसमें फंड के अधिकारियों और रिश्तेदारों ने अपने पैसे निकाल लिए थे। सेबी की तरफ से इस पूरे मामले की कराई गई फोरेंसिक जांच में फंड हाउस के टॉप ऑफिसरों की तरफ से कथित तौर पर ’इनसाइडर ट्रेडिंग’ होने की बात का पता चला है।
फंड हाउस के टॉप एग्जिक्यूटिव, उनके रिश्तेदारों और ट्रस्टी ने डेट स्कीमों में रिडेम्शन बंद किए जाने से पहले उनमें बिकवाली की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, टॉप एग्जिक्यूटिव्स और उनके रिश्तेदारों और उनसे जुड़े संस्थानों ने मार्च और अप्रैल में 23 बार में कुल 56 करोड़ रुपए निकाले थे। ये निकासी तब हुईं जब उन स्कीमों के रिडेम्शन प्रेशर को देखते हुए फंड हाउस ने बैंकों से जमकर उधारी ली थी।
फंड हाउस के जिन टॉप एग्जिक्यूटिव ने डेट स्कीमों में रिडेम्शन बंद होने से पहले से उनसे पैसे निकाले थे, उनमें फ्रैंकलिन टेंपलटन के एशिया पैसेफिक हेड विवेक कुदवा अहम थे। उनकी पत्नी रूपा कुदवा (ओमिड्यार नेटवर्क इंडिया की एमडी) और मां वसंती कुदवा ने भी मार्च और अप्रैल के शुरुआती दिनों में उन स्कीमों से पैसे निकाले थे। प्रेसिडेंट संजय सप्रे और उनकी पत्नी प्रदिप्ता सप्रे की तरफ से भी रकम निकाली गई थी लेकिन वह मामूली थी। स्कीमों से पैसे निकालने वालों में ट्रस्टी अरविंद वासुदेव सोंडे, डायरेक्टर जयराम एस अय्यर भी शामिल थे।
टॉप एग्जिक्यूटिव्स की तरफ से पहली निकासी विवेक कुदवा की तरफ से 20 मार्च को हुई थी और दूसरी बार पैसे उन्होंने 2 अप्रैल को निकाले थे। उनकी तरफ से निकाली गई कुल रकम 11.60 करोड़ रुपए की थी। इंडिविजुअल में सबसे ज्यादा 17.45 करोड़ रुपए की रकम उनकी पत्नी रूपा ने निकाली थी। रूपा ने अपनी यूनिट्स लगातार दो दिन, 23 और 24 मार्च को बेची थीं। विवेक की मां वसंती ने 64.5 लाख रुपए की यूनिट्स बेची थीं।
फंड के प्रेसिडेंट संजय सप्रे ने 2 मार्च को एक लाख रुपए जबकि प्रदिप्ता सप्रे ने 3 अप्रैल को 4.8 लाख रुपए निकाले थे। फंड के ट्रस्टी सोंडे ने 16 अप्रैल को 2.45 करोड़ रुपए की निकासी की थी। उनके अलावा फ्रैंकलिन टेंपलटन की एसोसिएट कंपनी मायविश मार्केटप्लेसेज ने 22 करोड़ रुपए की यूनिट्स 6 और 11 मार्च को बेची थीं। विवेक कंपनी में डायरेक्टर हैं। पूरे घटनाक्रम में 20 मार्च और 23 मार्च की बड़ी अहमियत है। फंड हाउस ने 20 मार्च को अपनी उधारी लिमिट नेटवर्थ के 20% से बढ़ाने की इजाजत सेबी से मांगी थी जो 23 मार्च को मंजूर की गई थी।