ईएलएसएस और गोल्ड फंड में कर सकते हैं निवेश, मिलेगा बेहतर रिटर्न
मुंबई– अगर आप कहीं ऐसी जगह निवेश करने का प्लान बना रहे हैं, यहां से आपको बेहतर रिटर्न मिले सके तो आप इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम यानी ELSS या गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। ये दोनों ही ऑप्शन लॉन्ग टर्म निवेश के लिए सही माने जाते हैं। हम आपको इन दोनों योजनाओं के बारे में बता रहे हैं ताकि आप अपने हिसाब से सही जगह निवेश कर सकें।
ELSS में 3 साल का लॉक-इन पीरियड रहता है यानी आप जो पैसा इसमें इन्वेस्ट करेंगे वो 3 साल बाद ही निकाल सकेंगे। यह इस स्कीम का एक बहुत ही अच्छा फीचर है। अन्य स्कीम्स की तुलना में इसका लॉक-इन पीरियड काफी कम है। ELSS में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP या सिप) के जरिए 500 रुपए से भी निवेश की शुरुआत की जा सकती है। वहीं अधिकतम की कोई सीमा नहीं है। निवेशकों को इन फंड में दो तरह के ऑप्शन मिलते हैं। इनमें पहला है ग्रोथ और दूसरा है डिविडेंड पे आउट। ग्रोथ ऑप्शन में पैसा लगातार स्कीम में रहता है।
डिविडेंड ऑप्शन में कंपनियां समय-समय पर लाभांश के रूप में फायदा बांटती रहती हैं। डिविडेंड ऑप्शन वाली योजनाओं में साल में एक बार डिविडेंड मिल सकता है। हालांकि कुछ योजनाओं ने तो साल में एक बार से ज्यादा डिविडेंड दिया है। एक वित्त वर्ष में आप 1.5 लाख रु तक निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा ELSS में निवेश पर होने वाला लाभ और रिडम्पशन (निवेश यूनिट को बेचना) से मिलने वाली राशि भी पूरी तरह टैक्स फ्री होती है।
म्यूचुअल फंड से एक साल में मिलने वाले 1 लाख रुपए तक लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) को आयकर से छूट है। यानी आपको 1 लाख रुपए तक कोई टैक्स नहीं देना होता है। इस सीमा से अधिक लाभ पर 10% की दर से टैक्स देना होता है।
गोल्ड म्यूचुअल फंड, गोल्ड ETF का ही एक प्रकार है। ये ऐसी योजनाएं हैं जो मुख्य रूप से गोल्ड ETF में निवेश करती हैं। गोल्ड म्यूचुअल फंड सीधे भौतिक सोने में निवेश नहीं करते हैं, लेकिन उसी स्थिति को अप्रत्यक्ष रूप से लेते हैं। गोल्ड म्यूचुअल फंड ओपन-एंडेड निवेश प्रोडक्ट है जो गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Gold ETF) में निवेश करते हैं और उनका नेट एसेट वैल्यू (NAV) ETFs के प्रदर्शन से जुड़ा हुआ है।
आप मासिक SIP के माध्यम से 500 के साथ गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू कर सकते हैं। इसके निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट की जरूरत नहीं होती है। आप किसी भी म्यूचुअल फंड हाउस के माध्यम से इसमें निवेश की शुरुआत कर सकते हैं।
गोल्ड म्युचुअल फंड में 3 साल से अधिक के निवेश को लॉन्ग-टर्म माना जाता है और इसके लाभ को लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) कहा जाता है। सोने पर LTCG पर इंडेक्सेशन बेनिफिट (प्लस सरचार्ज, अगर कोई हो और सेस) के साथ 20% की दर से कर लगाया जाता है, जबकि शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) पर निवेशक को लागू स्लैब दर के अनुसार टैक्स देना होता है।
गोल्ड म्यूचुअल फंड में एग्जिट लोड हो सकता है जो आम तौर पर 1 साल तक होता है। म्यूचुअल फंड हाउस एग्जिट लोड तब लगाते हैं जब आप एक निश्चित अवधि से पहले ही अपने निवेश का मुनाफा वसूलना चाहते हैं।