केयर्न एनर्जी ने भारत सरकार के खिलाफ अमेरिका में फाइल किया केस

मुंबई– ब्रिटिश कंपनी केयर्न एनर्जी ने भारत सरकार के खिलाफ अमेरिका की एक जिला अदालत में मामला दर्ज किया है। यह मामला 1.2 अरब डॉलर (करीबन 9 हजार करोड़ रुपए) के टैक्स को लेकर दर्ज कराया गया है। 

12 फरवरी को दर्ज हुआ मामला

केयर्न ने 12 फरवरी को यह मामला दर्ज कराया है। इसमें उसने 2014 से अब तक का ब्याज और अन्य की मांग की है। हालांकि केयर्न ने इस बात से इनकार कर दिया कि उसके सीईओ ने भारत के वित्त मंत्री से मिलने का समय मांगा है। पिछले दिनों यह खबर थी केयर्न के सीईओ वित्तमंत्री से मिलने के लिए समय मांग रहे हैं। 

दिसंबर में जीता था मामला

बता दें कि दिसंबर महीने में केयर्न एनर्जी ने सिंगापुर की ऑर्बिट्रेशन कोर्ट में रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स के मामले में सरकार के खिलाफ जीत हासिल की थी। रेट्रोस्पेक्टिव का मतलब पुराने टैक्स के मामले से है। टैक्स विवाद के इस मामले में मध्यस्थता अदालत (आर्बिट्रेशन कोर्ट) ने भारत सरकार को 1.2 बिलियन डॉलर के अलावा इंटरेस्ट और पेनाल्टी की रकम चुकाने का आदेश दिया था। जिससे यह रकम बढ़कर 1.4 बिलियन डॉलर से अधिक हो गई। भारत सरकार ने केयर्न एनर्जी को यह रकम नहीं चुकाई है।

ट्रिब्यूनल के फैसले के मुताबिक, भारत ने ब्रिटेन के साथ हुए व्यापार समझौते का उल्लंघन किया है। कोर्ट ने कहा कि केयर्न के भारत में 2006-07 में व्यापार के आंतरिक पुनर्गठन (internal reorganisation) पर 10,247 करोड़ रुपए का भारत का टैक्स का दावा सही नहीं है। ट्रिब्यूनल ने सरकार को अपने द्वारा बेचे गए शेयरों का पैसा लौटाने, डिविडेंड जब्त करने और टैक्स डिमांड की वसूली के लिए रोके गए टैक्स रिफंड का आदेश दिया था।  

केयर्न एनर्जी ने यह कदम भारत सरकार पर पेमेंट के लिए दबाव बनाने के इरादे से उठाया है। कंपनी ने पिछले महीने सरकार को पत्र लिखकर कहा था कि अगर उसका पैसा जल्द नहीं मिला तो वह विदेश में भारत सरकार के असेट्स को जब्त करने पर मजबूर हो जाएगी। केयर्न एनर्जी ने इस बात का आंकलन शुरू भी कर दिया है कि वह किन असेट्स को जब्त कर सकती है। कंपनी एयर इंडिया के प्लेन और शिप को जब्त करने की योजना बना रही है। 

खबर है कि केयर्न कनाडा में भी कुछ भारतीय संपत्तियों का आंकलन करवा रही है। हालांकि उसके सीईओ का यह कहना है कि वह अभी भी भारत सरकार के साथ तेजी से काम करना चाहते हैं। बता दें कि भारत सरकार को वोडाफोन के इसी तरह के 2 अरब डॉलर के मामले में हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि हाल ही में सरकार ने इस फैसले के खिलाफ चैलेंज किया है। ऐसे में केयर्न एनर्जी के मामले में भी सरकार कदम उठा सकती है।  

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