DHFL के लिए बोली लगाने वाली ओकट्री फंसी मुश्किल में, रेटिंग को लेकर सेबी की जांच

मुंबई– दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) को खरीदने के लिए बोली लगाने वाली विदेशी कंपनी ओकट्री मुश्किल में फंस गई है। खबर है कि इसके डेट साधन को AAA की रेटिंग मिलने का दावा किया गया है।

पूंजी बाजार रेगुलेटर सेबी ने DHFL के प्रशासक से पूछा है कि उन्होंने प्रस्तावित डेट इंस्ट्रूमेंट के क्रेडिट रेटिंग को लेकर जो दावा किया है, उसके बारे में एक्सप्लेन करें। अमेरिका की ओकट्री ने अपने बिड में दावा किया था कि DHFL के नॉन कनवर्टिबल डिबेंचर (NCD) को AAA रेटिंग मिल सकती है। यह तब मिलेगी जब इसके द्वारा रिजोल्यूशन प्लान को स्वीकार किया जाएगा। ओकट्री ने एक पत्र में कहा कि प्रस्तावित NCD 1000 करो़ड़ रुपए की है और इसे ज्यादा से ज्यादा रेटिंग मिलने की उम्मीद है।

ओकट्री ने इसी समय पर पिरामल इंटरप्राइजेज के प्रस्तावित बांड्स से भी इसकी तुलना कर दी। इसने कहा कि पिरामल का प्रस्तावित बांड्स AA से ज्यादा की रेटिंग नहीं पा सकता है। पिरामल ने इस मामले में रिजर्व बैंक के पास शिकायत की है। उसने कहा है कि ओकट्री DHFL को खरीदने के लिए कैपिटल एडिक्वेसी रेशियो (CAR) के नियमों को पूरा करने में सक्षम नहीं होगी। 

नियमों के मुताबिक, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी किसी भी इंस्ट्रूमेंट की रेटिंग का इंडीकेशन नहीं दे सकती है। इस तरह के इंडीकेशन निवेशकों को संभावित रूप से गुमराह करते हैं। 5 जनवरी को सेबी को एक शिकायत मिली थी। इस शिकायत में रेटिंग को लेकर बात कही गई थी। इसी के बाद सेबी ने DHFL से क्रेडिट रेटिंग को लेकर पूछताछ की है। 

बता दें कि पिछले महीने ही बीडिंग का पांचवा राउंड पूरा हुआ है। ओकट्री और पिरामल इंटरप्राइजेस सबसे प्रमुख दावेदार हैं। इसके लिए करीबन 35 से 37 हजार करोड़ रुपए का बिड दिया गया है। हालांकि पिरामल ने इसमें निवेशकों को 10% अधिक देने की बात कही है। यह नकदी के रूप में होगा। जबकि ओकट्री ने इसके बाद यह कहा कि वह बीमा कंपनियों की हिस्सेदारी बेचकर अतिरिक्त रकम दे सकती है। पिरामल ने कहा कि वह भारतीय कंपनी है और करीबन 30 हजार करोड़ रुपए इक्विटी के रूप में निवेश किया है।

इस मामले में कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स 14 जनवरी को फाइनल फैसला लेगी। DHFL पहली फाइनेंस कंपनी है जो दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है। जुलाई 2019 तक कंपनी पर 83 हजार 873 करोड़ रुपए का कर्ज था। सूत्रों के मुताबिक इस रेटिंग के मामले में केयर की एक सब्सिडियरी स्कैनर में है। इसी सब्सिडियरी ने गुमराह करने वाली जानकारी दी है।

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