मार्केट कैप के लिहाज से तीसरे नंबर पर पहुंचा रिलायंस इंडस्ट्रीज ग्रुप, HDFC ग्रुप से 2 लाख करोड़ पीछे

मुंबई- रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) मार्केट कैप के लिहाज से तीसरे नंबर पर पहुंच गया है। अब इसके और पहले नंबर के टाटा ग्रुप के मार्केट कैप में 4.57 लाख करोड़ रुपए का अंतर है। रिलायंस ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 12 लाख 68 हजार 478 करोड़ रुपए है। जबकि टाटा ग्रुप का मार्केट कैपिटलाइजेशन 17 लाख 25 हजार 567 करोड़ रुपए है।  

आंकड़े बताते हैं कि RIL ग्रुप में सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड है। इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन 12.05 लाख करोड़ रुपए है। जबकि इसके पीपी शेयरों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 43 हजार करोड़ रुपए है। बाकी 8 छोटी-छोटी लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप करीबन 20 हजार करोड़ रुपए है।   

पहले नंबर की टाटा ग्रुप में सबसे बड़ी कंपनी इसकी आईटी कंपनी टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस (TCS) है। इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन 12 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है। इस ग्रुप की 28 कंपनियां लिस्ट हैं। इसमें दूसरे नंबर पर टाइटन है। इसका मार्केट कैप 1.38 लाख करोड़ रुपए है। तीसरे नंबर पर टाटा स्टील है। इसका मार्केट कैप 83 हजार 747 करोड़ रुपए है। चौथे नंबर पर टाटा पावर है। इसका मार्केट कैप 68 हजार करोड़ रुपए है।  

इसकी अन्य कंपनियों में वोल्टास, ट्रेंट लिमिटेड, टाटा कंज्यूमर, टाटा पावर और टाटा कम्युनिकेशन आदि हैं। दूसरे नंबर पर HDFC ग्रुप है। इसमें 8 लाख करोड़ रुपए के साथ HDFC बैंक सबसे बड़ा है। जबकि दूसरे नंबर पर HDFC लिमिटेड है। इसका मार्केट कैप 4.96 लाख करोड़ रुपए है। इसकी अन्य कंपनियों में HDFC लाइफ है जिसका मार्केट कैप 1.46 लाख करोड़ रुपए है। HDFC असेट मैनेजमेंट कंपनी का मार्केट कैप 68 हजार करोड़ रुपए है।  

वैसे HDFC लिमिटेड का मार्केट कैप देखें तो यह देश में लिस्टेड सभी हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के कुल मार्केट कैप से बहुत आगे है। टॉप 7 हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों का मार्केट कैप केवल 48,591 करोड़ रुपए है। इसमें एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस सबसे बड़ी है। इसका मार्केट कैप 22 हजार करोड़ रुपए है। इसी तरह इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस का मार्केट कैप 10,837 करोड़ रुपए है। 

इस समय HDFC और इसके ग्रुप का मार्केट कैप पहली बार इस लेवल पर पहुंचा है। विश्लेषकों के मुताबिक रिलायंस का शेयर अप्रैल से सितंबर के दौरान इसलिए बढ़ा क्योंकि ढेर सारी डील उस समय रिलायंस ने जियो टेलीकॉम और रिटेल में की थी। उसने हिस्सेदारी बेचकर 2 लाख करोड़ रुपए के करीब रकम जुटाई थी। पर उसके बाद अब निवेशकों में इस बात की चिंता है कि आगे कंपनी क्या करेगी? कंपनी की आगे की रणनीति का खुलासा नहीं होने से इसके शेयरों पर लगातार दबाव बना हुआ है।  

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