14 दिसंबर से 24 घंटे सातों दिन RTGS होगा उपलब्ध

मुंबई– बैंकों का रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (RTGS) अब 24 घंटे सातों दिन उपलब्ध रहेगा। 14 दिसंबर से यह सुविधा शुरू हो जाएगी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को इसकी जानकारी दी। इससे अब ग्राहकों को पैसे भेजने में आसानी हो जाएगी।अभी हर महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को छोड़ सप्ताह के सभी कार्य दिवसों में सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक यह सिस्टम काम करता है।  

RBI द्वारा दी गई इस सुविधा के बाद भारत अब उन कुछ गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है जहां पर RTGS राउंड द क्लॉक यानी 24 घंटे सातों दिन उपलब्ध रहता है। इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने इसी साल में नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) को 24 घंटे सातों दिन उपलब्ध कराने की सुविधा दी थी। यह छुट्‌टी के दिनों में भी काम करेगा। इसी के बाद इस सुविधा को शुरू करने का निर्णय लिया गया है। 13 दिसंबर की रात 12.30 के बाद यह सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। यानी इसी समय पर इसे लांच किया जाएगा। 

RTGS की शुरुआत 26 मार्च 2004 में की गई थी। उसके 14 साल बाद इसे 24 घंटे सातों दिन के रूप में शुरू किया जा रहा है। वर्तमान में इसके जरिए रोजाना 6.35 लाख ट्रांजेक्शन बैंक करते हैं। इसकी वैल्यू 4.17 लाख करोड़ रुपए है। इसमें कुल 237 बैंक शामिल हैं। इसका औसत टिकट साइज नवंबर में 57.96 लाख रुपए रहा है। यानी एक RTGS के जरिए 57.96 लाख रुपए भेजा जाता है।  

24 घंटे सातों दिन यह सुविधा उपलब्ध होने से इसके लेन-देन में बढ़त होने की उम्मीद है। साथ ही इससे ग्राहकों को सुविधा मिलेगी कि वे कभी भी इसका उपयोग कर सकते हैं। इसके जरिए बिजनेस करनेवालों को प्रभावी रूप से ज्यादा सुविधा होगी। इससे भारतीय वित्तीय बाजार में भी एक नई तेजी मिलेगी। इससे क्रॉस बॉर्डर पेमेंट में भी सुविधा होगी। 

आरटीजीएस प्रणाली का इस्तेमाल अधिक मूल्य के लेनदेन के लिये किया जाता है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने मीटिंग में कहा था कि डिजिटल भुगतान को सुरक्षित तरीके से बढ़ाने के लिये यूपीआई अथवा कार्ड के जरिये बिना संपर्क के किये जा सकने वाले लेन-देन की सीमा को एक जनवरी 2021 से दो हजार रुपए से बढ़ाकर पांच हजार रुपए कर दिया जायेगा। देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक ने जुलाई 2019 से एनईएफटी व आरटीजीएस के माध्यम से किये जाने वाले लेन-देन पर चार्ज लेना बंद कर दिया। 

एनईएफटी का इस्तेमाल दो लाख रुपए तक के लेन-देन में किया जाता है। उससे ज्यादा का लेन-देन आरटीजीएस के जरिए होता है। 2 लाख से कम का ट्रांसफर आरटीजीएस से नहीं होता है।इससे भी बड़ी बात यह है कि ट्रांसफर करने पर कोई अतिरिक्त शुल्क भी नहीं देना होता है।भारत के अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्रों को विकसित करने और घरेलू, कॉरपोरेट संस्थानों को बड़े स्तर पर ऑनलाइन भुगतान की फ्लैक्सिबिटी उपलब्ध कराने के लिए यह फैसला लिया गया है। 

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