ग्लैंड फार्मा के 6 हजार करोड़ के आईपीओ को मिली मंजूरी, चीन की मेजोरिटी हिस्सेदारी वाली पहली कंपनी

मुंबई– शंघाई फोसन फार्मा की मेजोरिटी हिस्सेदारी वाली ग्लैंड फार्मा के आईपीओ को सेबी की मंजूरी मिल गई है। इसके जरिए कंपनी 6 हजार करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखी है। अगर यह आईपीओ आता है तो यह चीन की मेजोरिटी हिस्सेदारी वाली किसी कंपनी का पहला आईपीओ होगा। माना जा रहा है कि यह आईपीओ अगले महीने आ जाएगा।  

इस आईपीओ के तहत 1,250 करोड़ रुपए का फ्रेश इश्यू हो सकता है जबकि  4,750 करोड़ रुपए का ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) रखा जा सकता है। यानी इस इश्यू का साइज 6000 करोड़ रुपए हो सकता है। आईपीओ के लीड मैनेजर में सिटी, नोमुरा और कोटक महिंद्रा बैंक हैं।   

बता दें कि ग्लैंड फार्मा हैदराबाद की कंपनी है। यह इंजेक्टेबल दवाओं को बनाती है। यह हाल के समय का सबसे बड़ा आईपीओ है। सेबी की ये मंजूरी उस समय आई है जब भारत में फार्मा सेक्टर में जोरदार तेजी है और भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद गहरा गया है। हाल के समय में फार्मा स्टॉक ने अच्छा रिटर्न दिया है। ऐसे में ग्लैंड फार्मा के आईपीओ को बेहतर रिस्पांस मिल सकता है। हाल में कई आईपीओ लॉन्च हुए हैं लेकिन इस साल अभी तक बाजार में किसी नई फार्मा कंपनी की लिस्टिंग नहीं हुई है। फार्मा कंपनी का आखिरी आईपीओ 2017 में आया था। उस समय एरिस लाइफसाइंसेस ने आईपीओ लाया था।  

ग्लैंड फार्मा आईपीओ में प्राइमरी और सेंकेंडरी दोनों तरह के इश्यू होंगे।  इस इश्यू के जरिए चीन का फोसन ग्रुप (Fosun group) और कंपनी के भारतीय फाउंडर अपनी हिस्सेदारी बेचेंगे। इस आईपीओ से मिलने वाले ज्यादातर पैसे का इस्तेमाल कंपनी के भारतीय कारोबार के को बढ़ाने के लिए निवेश और वर्किंग कैपिटल जरूरतों को पूरा करने के लिए करेगी। 

ग्लैंड फार्मा की स्थापना 1978 में पीवीएन राजू ने की थी। कंपनी मुख्यत: जेनरिक इंजेक्टेबल फार्मा प्रोडक्ट बनाती है। हॉन्ग कॉन्ग में लिस्टेड फोसन ने 1.09 अरब डॉलर के निवेश से अक्टूबर 2017 में  प्राइवेट इक्विटी फर्म केकेआर से ग्लैंड फार्मा में 74 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी।  

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