शेयर बाजार में 1,066 अंकों की गिरावट, निवेशकों के 3 लाख करोड़ रुपए डूबे
मुंबई. कमजोर ग्लोबल संकेतों के कारण शेयर बाजार भारी गिरावट के साथ बंद हुआ है। सेंसेक्स दिन के उच्चतम स्तर से 1380 अंक और निफ्टी 364 अंक नीचे बंद हुआ है। हालांकि 1066 अंक की गिरावट आज हुई थी। इससे निवेशकों के तीन लाख करोड़ रुपए डूब गए। लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप 160 लाख करोड़ रुपए से घटकर 157 लाख करोड़ रुपए हो गया। आज बाजार के लगभग सभी सेक्टर्स में भारी बिकवाली रही। निफ्टी आईटी इंडेक्स में 636 और निफ्टी बैंक इंडेक्स में 802 अंकों की गिरावट रही।
स्टॉक्स अपडेट
निफ्टी में बजाज फाइनेंस का शेयर 5% नीचे बंद हुआ है। इसके अलावा टेक महिंद्रा और आईसीआईसीआई बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के शेयर भी 4-4 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुए हैं। निफ्टी बैंक इंडेक्स में बंधन बैंक का शेयर 5% नीचे बंद हुआ है। इसके अलावा आईटी इंडेक्स में माइंडट्री का शेयर 7% नीचे बंद हुआ है। जिंदल स्टील और मदरसन सूमी के शेयरों में भी 4-4 फीसदी की गिरावट रही। अंत में बीएसई सेंसेक्स 1066.33 अंक यानी 2.61% नीचे 39,728.41 पर और निफ्टी 290.70 अंक यानी 2.43% नीचे 11,680.35 पर बंद हुआ है। जबकि सुबह बीएसई 253.31 अंक ऊपर 41,048.05 पर और निफ्टी 52.4 अंक ऊपर 12,023.45 के स्तर पर खुला था।
बीएसई पर करीब 65% कंपनियों के शेयरों में गिरावट रही
बीएसई का मार्केट कैप 157.28 लाख करोड़ रुपए रहा। 2,790 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 816 कंपनियों के शेयर बढ़त और 1,823 कंपनियों के शेयर में गिरावट रही। 97 कंपनियों के शेयर 1 साल के उच्च स्तर और 59 कंपनियों के शेयर एक साल के निम्न स्तर पर रहे। 209 कंपनियों के शेयर में अपर सर्किट और 226 कंपनियों के शेयर में लोअर सर्किट लगा।
बाजार में भारी गिरावट की वजह
1. अमेरिका में राहत पैकेज में देरी- अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के सेक्रेटरी स्टीव मुनचिन ने कहा कि वे और हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव स्पीकर नेंसी पेलोसी किसी भी अन्य कोरोना इकोनॉमिक रिलीफ पैकेज से काफी दूर हैं। यानी 3 नवंबर के होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले राहत पैकेज की संभावना बेहद कम है।
2. अमेरिका-चीन तनाव – रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने ट्रम्प प्रशासन के सामने एक प्रस्ताव रखा है। इसके मुताबिक चीन की दिग्गज कंपनी अलीबाबा की एंट ग्रुप को ब्लैकलिस्ट में जोड़ने की बात कही गई है। इससे बीजिंग और वाशिंगटन के बीच तनाव बढ़ सकता है।
3. कोविड-19 मामलों में बढ़ोतरी – कोरोना के मामले बढ़ने से निवेशकों को चिंता है कि सरकार दोबारा लॉकडाउन का ऐलान कर सकती है। क्योंकि यूरोपीय देश स्कूलों को बंद कर रहे हैं।