सभी बैंकों में अब सीसीओ की होगी नियुक्ति, कंप्लायंस प्रैक्टिस के लिए आरबीआई ने जारी की गाइड लाइंस
मुंबई-भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों में एक समान कंप्लायंस प्रैक्टिसेस (uniform compliance practices) को लागू करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है। इसके मुताबिक सभी बैंकों को बोर्ड द्वारा मंजूर कंप्लायंस पॉलिसी के लिए चीफ कंप्लायंस ऑफिसर (सीसीओ) की नियुक्ति करनी होगी।
आरबीआई ने अपने नोटिफिकेशन में कहा कि इस तरह के स्वतंत्र कंप्लायंस फंक्शन का नेतृत्व एक नॉमिनेटेड चीफ कंप्लायंस ऑफिसर (सीसीओ) द्वारा किया जाना आवश्यक है। हालांकि, यह देखा गया है कि बैंक इस संबंध में विभिन्न प्रैक्टिसेज का पालन करते हैं। दिशा निर्देश के मुताबिक बैंकों द्वारा अपनाए जाने वाले दृष्टिकोण में बेहतर तरीके से सीसीओ पर सुपरवाइजरी एक्सपेक्टेशंस (supervisory expectations) को ठीक करने के लिए यह लाया जा रहा है।
दिशा-निर्देशों में यह अनिवार्य किया गया है कि बैंकों को बोर्ड द्वारा मंजूर कंप्लायंस पॉलिसी को स्पष्ट रूप से दिखनी चाहिए। इसमें ऊपर से लेकर नीचे तक सबको जवाबदेह बनाया जाए। इसमें इंसेंटिव स्ट्रक्चर (incentive structure) और प्रभावी कम्युनिकेशन (effective communication) और उसकी चुनौतियों को भी शामिल किया जाए। इसमें यह भी कहा गया है कि बोर्ड को कंप्लायंस कार्य की भूमिका, सीसीओ की भूमिका और पूरे बैंक में कंप्लायंस जोखिम की पहचान, ऑकलन, निगरानी, प्रबंधन और रिपोर्टिंग के लिए उनकी प्रक्रियाओं को भी परिभाषित करना चाहिए।
बैंक कंप्लायंस कार्य के सभी पहलुओं को शामिल करते हुए क्वालिटी आश्वासन और सुधार कार्यक्रम विकसित करेंगे और उसे बनाए रखेंगे। यह कार्यक्रम समय-समय पर एक्सटर्नल रिव्यू (external review) के अधीन होगा यह तीन वर्षों में कम से कम एक बार होगा। पॉलिसी की समीक्षा साल में कम से एक बार की जाएगी. सीसीओ बैंक का एक वरिष्ठ अधिकारी होगा। यह महाप्रबंधक (जीएम) या इसके बराबर के पद पर और चीफ एक्जीक्यूटिव से दो स्तरों से नीचे नहीं होगा। बैंक चाहे तो बाहर से भी सीसीओ की भर्ती कर सकता है। इनकी उम्र 55 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
सीसीओ के पास बैंकिंग या वित्तीय सेवाओं में कम से कम 15 वर्ष का अनुभव होना चाहिए। इसमें से कम से कम पांच वर्ष ऑडिट, फाइनेंस, कंप्लायंस, कानूनी या जोखिम प्रबंधन कार्यों में अनुभव होना चाहिए। सीसीओ के पास स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की क्षमता होगी। साथ ही नियामकों और सुपरवाइजर के साथ सीधे बातचीत करने और कंप्लायंस सुनिश्चित करने की स्वतंत्रता और पर्याप्त अधिकार होगा। सीसीओ के खिलाफ किसी तरह का मामला आरबीआई की ओर से पेंडिंग नहीं होना चाहिए।
सीसीओ सीधे एमडी और सीईओ और/या बैंक के बोर्ड और एसीबी को सीधे रिपोर्ट करेंगे। अगर सीसीओ एमडी और सीईओ को रिपोर्ट देते हैं तो बोर्ड की ऑडिट कमेटी एमडी और सीईओ सहित सीनियर मैनेजमेंट की मौजूदगी के बिना वन ऑन वन बेसिस पर सीसीओ की तिमाही बैठक करेगी। सीसीओ का बैंक के बिजनेस वर्टिकल के साथ कोई रिपोर्टिंग संबंध नहीं होगा। उसे कोई बिजनेस टारगेट नहीं दिया जाएगा। आरबीआई ने कहा कि इसके अलावा, सीसीओ के प्रदर्शन की समीक्षा बोर्ड या एसीबी द्वारा की जाएगी।