भारत में कच्चे तेल की ट्रेडिंग को लाभप्रद बनाने वाली गाइड

(अनुज गुप्ता, डीवीपी- कमोडिटी एंड करेंसी रिसर्च, एंजल ब्रोकिंग लिमिटेड )

मुंबई- कच्चे तेल को निवेशकों के लिए एक ट्रेड डायवर्सिफिकेशन विकल्प माना जा सकता है, क्योंकि यह एक लाभ देने वाली कमोडिटी है और इस पर ग्लोबल इंडेक्स होने का टैग भी है। इससे यह एक आकर्षक आय का सेक्टर बन जाता है। रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली इम्पोर्ट-डिपेंडेंट कमोडिटी होने से बाजार पर नजर रखने वालों का कहना है कि यह सभी दी गई बाजार परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन करता है। 

कच्चे तेल का ट्रेड दुनियाभर के इंडेक्स पर होता है, जो रोज़मर्रा की बाज़ार गतिविधि और हाई वॉल्युम में रोज ट्रेड होने के कारण आपको डेस्क पर बैठे-बैठे अच्छा लाभ दे सकता है। कमोडिटी की कीमतों में बदलाव और ट्रेंड्स को समझने के बाद, कच्चे तेल का स्टॉक महत्वपूर्ण रेट ऑन इन्वेस्टमेंट (आरओआई) प्रदान कर सकता है। यह शॉर्ट-टर्म ट्रेड्स से लॉन्ग-टर्म स्ट्रैटजी तक, कई विकल्प पेश करता है जो निवेशक के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। 

आपको ट्रेड शुरू करने के लिए आवश्यक चीजों को समझना होगा: 

अक्सर कच्चे तेल के मूल्य में उतार-चढ़ाव तब होता है जब उत्पादन और सप्लाई में चुनौतियां आती हैं। इसके कारण दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अनपेक्षित घरेलू परिणाम सामने आते हैं। इस वजह से देश अपने कच्चे तेल के इम्पोर्ट बिल के आधार पर अपने टैक्सेशन और फ्यूल पॉलिसी जांचने की कोशिश करते हैं। यह कच्चे तेल पर निर्भर कंपनियों के लिए भी यह सही है, जो सर्विसेस और प्रोडक्ट प्राइजिंग के अनुसार मार्क होता है। 

वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) क्रूड और ब्रेंट क्रूड दो मानक हैं जिसके जरिए कमोडिटी का कारोबार किया जाता है। दोनों में वजन, सल्फर कम्पोजिशन, एक्स्ट्रेक्शन के लोकेशंस और अन्य विशेषताओं में भिन्नता है। भारतीय संदर्भ में ब्रेंट क्रूड वह कमोडिटी है जो आमतौर पर मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (MCX) या नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) में ट्रेड होती है। रिटेल निवेशक के लिए कमोडिटी ऑयल फ्यूचर्स शब्द का इस्तेमाल कच्चे तेल के स्टॉक खरीदने के लिए किया जाता है। यह बड़े पैमाने पर अनुमानित होता है और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, ओएनजीसी जैसी तेल कंपनियां इसका हाई वॉल्युम में कारोबार करती हैं। दुनियाभर में ऊर्जा संबंधी इस्तेमाल को देखते हुए कच्चे तेल का मार्केट सबसे डाइनामिक मार्केट्स में से एक है और निवेशकों को हर दिन होने वाले लेनदेन के आकार के बारे में जानकारी होनी ही चाहिए। 

वह परिस्थितियां, जो मांग, आपूर्ति और कीमतों को प्रभावित करती है: 

हर दिन क्रूड ऑयल एमसीएक्स फ्यूचर्स के कॉन्ट्रेक्ट्स ट्रेड 3000 करोड़ रुपए से अधिक के होते हैं और यह 10 बैरल और आम तौर पर 100 बैरल के बैच में होते हैं। इसमें प्रॉमिसिंग रिटर्न के साथ छोटे निवेश की आवश्यकता हो सकती है, वे अत्यधिक अप्रत्याशित हो सकते हैं और अक्सर विशेषज्ञ का गाइडेंस लेने की आवश्यकता होती है। चूंकि, क्रूड एक फ्यूचर ट्रेड कमोडिटी है, इसलिए निवेशकों को कॉन्ट्रेक्ट के लिए हर महीने, आमतौर पर महीने की 19 या 20 तारीख को कॉन्ट्रेक्ट समाप्त होते हैं। ऐसे में अपने पोर्टफोलियो में अंतिम समय में जाकर खुद को रीपोजिशन करना आवश्यकता बन जाता है। 

इसके अलावा, प्राकृतिक आपदा और स्वास्थ्य संकट के कारण तेल क्षेत्र और उत्पादन इकाई बंद हो सकते हैं। इससे अक्सर कमोडिटी की ओवरसप्लाई या शॉर्टेज हो जाती है। इस संबंध में यह जानना जरूरी है कि कोविड-19 महामारी की वजह से दुनियाभर में लॉकडाउन रहा और इससे मांग कमजोर हुई है। इससे एक समय में कीमतों में भी गिरावट आई। दुनियाभर में हवाई जहाज ठप होने और इम्पोर्ट करने वाले प्रमुख देशों में लॉकडाउन के कारण ईंधन की खपत अब तक के निचले स्तर पर है।  

उदाहरण के लिए 20 अप्रैल, 2020 को डब्ल्यूटीआई क्रूड ने अंडर-बॉन्ड क्रूड और सप्लाई की अधिकता के कारण अब तक का सबसे कम -40 डॉलर प्रति बैरल भाव दर्ज किया था। ओवरसप्लाई के कारण बाजार में बिना खरीदा स्टॉक बहुत ज्यादा हो गया था। हालांकि, अगस्त 2020 तक डब्ल्यूटीआई 200% की वृद्धि दर्ज करते हुए +42 डॉलर प्रति बैरल की स्थिति पर पहुंच गया है। ये घटनाक्रम मांग और आपूर्ति का एक परिणाम हैं, जिसमें पोस्ट-लॉकडाउन रिकवरी ने वृद्धि को प्रभावित किया। अगर सही तरीके से निवेश किया जाए, तो यह पता चलता है कि 4 महीने में यहां तक कि रिटेल निवेशक भी 200% मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं, बस मांग और आपूर्ति के खेल में उन्हें सतर्क रहना होगा। 

इसके अलावा यदि मिडिल-ईस्ट में कोई संघर्ष होता है जैसे कि ईरान का सऊदी अरब की ऑइल फील्ड पर ड्रोन अटैक या अमेरिका-चीन ट्रेड को लेकर टकराव, तो इन परिस्थितियों में जोखिम बढ़ता हैमी और कीमतें भी। यदि चीन को लेकर अमेरिका की सख्ती के बीच यूएस क्रूड खरीदना है तो सौहार्दपूर्ण बातचीत की संभावना बढ़ जाती है और इसका कच्चे तेल की कीमतों पर प्रभाव पड़ेगा। ब्रोकरेज फर्मों में विशेषज्ञों की सहायता के माध्यम से स्ट्रैटजी तैयार करने, खासकर कच्चे तेल के शेयरों में उतार-चढ़ाव में निवेश करने के लिए भारतीय निवेशकों के लिए वैश्विक घटनाक्रम पर नजर रखना, विवेकपूर्ण है। 

तेल कंपनियों की हेजिंग स्ट्रैटेजी और भारतीय हकीकत: 

क्रूड ट्रेड ग्लोबल इकोनॉमी और एनर्जी ट्रेड की छवि की तरह है। विमानन कंपनियों, तेल कंपनियों, रिफाइनरियों आदि ने अक्सर दुनियाभर में होने वाली घटनाओं, घरेलू स्तर पर उनकी भंडारण क्षमता और कच्चे तेल के कम कीमत के आधार पर अपने दांव को हेज किया है। यदि उन्हें लगता है कि कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, तो वे बाजार पर खरीद को लेकर हेजिंग स्ट्रैटजी बनाते हैं। अगर उनके पास भंडारण करने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है तो ऑइल फ्यूचर खरीदना उनकी मदद करता है। जब कीमत बढ़ती है, तो अतिरिक्त संसाधनों को खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे जोखिम कम हो जाता है। 

इंडिगो, स्पाइसजेट, एयर इंडिया जैसी विमानन कंपनियां आवश्यक एविएशन टर्बाइन फ्यूल के जरिए कच्चे तेल के नेट यूजर हैं। उनकी रिस्क मिटिगेशन स्ट्रैटजी व्यक्तिगत निवेशकों के लिए उपयोगी है। वे तेल कंपनियों पर पिगीबैकिंग के जरिए तेल कंपनियों और विमानन कंपनियों के ऑइल फ्यूचर्स के ट्रेंड्स पर कमोडिटी मूवमेंट्स ट्रैक करते हैं। सोने या चांदी की तुलना में बाजार के आकार के मामले में सबसे बड़ी कमोडिटी होने के नाते कच्चे तेल में कीमत में मूवमेंट होता ही है। भारत, चीन और कई अन्य एशियाई देश नेट इम्पोर्टर हैं, वे अक्सर ऑइल फ्यूचर को जारी रखते हैं। निरंतर मूवमेंट्स के साथ लाभप्रदता की बेहतर संभावनाएं आती हैं। 

इसके अलावा, पूरी दुनिया में निहित स्वार्थों की वजह से कच्चे तेल के ट्रेड की बाधाओं को दूर करना महत्वपूर्ण हो जाता है। खासकर इस बात को देखते हुए कि मिडिल-ईस्ट में कई देशों के लिए यह राजस्व का एक बड़ा स्रोत है। जब तक ऐसे देश हैं जिन्हें क्रूड इम्पोर्ट करने की आवश्यकता है, तब तक कीमतों और कमोडिटी में मूवमेंट होता है और यह इकोनॉमी के लिए अच्छा है। भारतीय निवेशकों के लिए, यह हेज का अच्छा विकल्प है, यह देखते हुए कि हमारी खपत का 80% कच्चा तेल इम्पोर्ट होकर आता है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *