देश की जीडीपी की वृद्धि दर गिरकर -23.9 प्रतिशत पर पहुंची, केवल कृषि सेक्टर में रही वृद्धि

मुंबई- जीडीपी के मोर्चे पर भारत को जबरदस्त झटका लगा है। पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर -23.9 प्रतिशत रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था में बीते 40 साल में पहली बार गिरावट आई है। कोरोना महामारी के चलते देशभर में लागू लॉकडाउन से पूरी तरह पठ पड़ी आर्थिक गतिविधियों ने अर्थव्यवस्था को जोरदार झटका दिया है। जी-20 अर्थव्यवस्था में भारत का सबसे खराब प्रदर्शन जीडीपी के मामले में रहा है। 

सरकार ने सोमवार को लॉकडाउन तिमाही यानी अप्रैल-जून 2020 के जीडीपी आंकड़े जारी किए। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में आर्थिक विकास दर यानी जीडीपी ग्रोथ रेट -23.9 फीसदी दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत, जबकि दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.7 और पहली तिमाही में 5 प्रतिशत थी।  

कोरोना वायरस महामारी के चलते मार्च के महीने में देशव्यापी लॉकडाउन घोषित किया गया था। पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच पूरी तरह से देश भर में लॉकडाउन के चलते उद्योग धंधे बंद हो गए। इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन ठप पड़ गया। अलग अलग एजेंसियों ने भी कहा कि देश में सकल घरेलू उत्पाद में बेतहाशा कमी आई है और रोजगार के आंकड़ों में भी बड़ी गिरावट दिख सकती है। 

आंकड़ों के मुताबिक पहली तिमाही में माइनिंग सेक्टर की वृद्धि दर 23.3 प्रतिशत गिरी है। एक साल पहले समान तिमाही में 4.7 प्रतिशत की गिरावट थी। इसी तरह मैन्युफैक्चरिंग में 3 प्रतिशत की तुलना में 39.3 प्रतिशत की गिरावट दिखी है। कृषि की वृद्धि दर 3.4 प्रतिशत इस दौरान रही है। कंस्ट्रक्शन सेक्टर की वृद्धि दर में 50.2 प्रतिशत की गिरावट आई है। एक साल पहले समान तिमाही में इसमें 5.3 प्रतिशत की वृद्धि थी। 

आंकड़ों के मुताबिक ट्रेड, होटल्स, ट्रांसपोर्ट और कम्युनिकेशन सेक्टर की वृद्धि दर में 47 प्रतिशत की गिरावट दिखी है। इलेक्ट्रिसिटी में 7 प्रतिशत की गिरावट रही है। इन आंकड़ों के बाद विश्लेषकों का मानना है कि अब आरबीआई ब्याज दरों में कटौती को दिसंबर तक टाल सकता है। हालांकि इससे पहले महंगाई का भी स्तर आरबीआई देखेगा। 

क्या है जीडीपी 

किसी भी एक साल के भीतर देश में उत्पादित होने वाले सभी सामानों और सेवाओं का कुल मूल्य जीडीपी कहलाता है। जीडीपी किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति को दर्शाता है। इससे पता चलता है कि देश का विकास किस तरह हो रहा है। एनएसओ जीडीपी के आंकड़े हर तिमाही यानी साल में चार बार जारी करता है। इसकी गणना चार घटकों कंजम्पशन एक्सपेंडिचर, गवर्नमेंट एक्सपेंडिचर, इनवेस्टमेंट एक्सपेंडिचर और नेट एक्सपोर्ट्स के जरिए होती है। 

इसके लिए आठ प्रमुख क्षेत्रों से आंकड़े लिए जाते हैं। इनमें कृषि, रियल एस्टेट, मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रिसिटी, गैस सप्लाई, माइनिंग, होटल, कंस्ट्रक्शन, ट्रेड और कम्युनिकेशन, फाइनेंसिंग और इंश्योरेंस, बिजनेस सर्विसेज, कम्युनिटी, सोशल व सार्वजनिक सेवाएं आदि शामिल हैं। 

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