ब्रिटिश मेटल टायकून संजीव गु्प्ता भारत में आधा दर्जन स्टील प्लांट खरीदने की योजना में

मुंबई- ब्रिटिश मेटल टायकून संजीव गुप्ता 2025 तक भारत में कम से आधा दर्जन छोटे स्टील प्लांट्स को खरीदने की योजना बना रहे हैं। उनकी यह योजना देश में छोटे-छोटे स्टील प्लांट्स को खरीदने की है। इसके जरिए वह देश में स्टील सेक्टर में अपनी पकड़ बनाना चाहते हैं। यह योजना अगले पांच सालों में पूरी की जाएगी।

कमोडिटी ट्रेडर से सीरियल डील मेकर के स्वामित्व वाली जीएफजी एलायंस भारत में बड़ी पूंजी वाली स्ट्रेस्ड स्टील कंपनियों पर जोर दिया है। यह वे कंपनियां थीं जिन्हें दिवालिया क़ानून के तहत बेचा जा रहा था, लेकिन प्रतिद्वंद्वियों ने बाजी मार ली। इस कंपनी ने हाल ही में दिवाला कानून के तहत आधुनिक मेटालिक्स लिमिटेड से संबंध तोड़ लिया। उसके बाद भारत में अपनी उपस्थिति स्थापित करने के मकसद से इसने अगले महीने से प्लांट में 5 लाख टन सालाना उत्पादन शुरू करने की योजना बनाई है। 

गुप्ता ने एक इंटरव्यू में कहा कि चूंकि हम किसी भी बड़ी संपत्ति को प्राप्त करने में असमर्थ थे, इसलिए हम स्ट्रिंग ऑफ पर्ल की रणनीति अपनाएंगे। हम 3 लाख से 5 लाख टन की क्षमता वाले प्लांट को खरीदने के लिए तैयार हैं। इन्हें 20 लाख टन या उससे अधिक तक पहुंचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम जल्द ही 50 लाख की क्षमता वाली कंपनी बनना चाहते हैं। 2015 और 2016 के कमोडिटी संकट के दौरान कर्ज से ग्रस्त स्टील और अल्यूमीनियम संपत्तियों को खरीदने का सिलसिला गुप्ता ने शुरू किया है। 

हाल ही में वह बेल्जियम में नोवेल इंक के डफल अल्यूमीनियम ऑपेरशन, फ्रांस में एक रेल प्लांट और ऑस्ट्रेलिया में एक फेरो अलॉय निर्माता कंपनी खरीदने के लिए सहमत हो गए हैं। इसके अलावा अल्यूमीनियम और रिनूवेबल एनर्जी में विश्व स्तर पर और भारत में वैल्यू चेन के माध्यम से प्रवेश करने की योजना बनाई है। 

गुप्ता ने कहा कि भारत हमारे भविष्य के विकास का केंद्र बिंदु होने जा रहा है। हमने शुरू में थोड़ा धीमा काम किया। हो सकता है कि शुरुआत में हमने थोड़ा ठोकर खाई थी लेकिन अब हम बहुत मजबूत स्थिति में हैं। गुप्ता ने कहा कि कोरोनावायरस प्रकोप से यूरोप और दुनिया के कुछ हिस्सों में कंसोलिडेशन की लहर होगी और जीएफजी को आगे विस्तार करने के अवसर प्रदान होंगे। जैसे-जैसे उनका व्यवसाय बढ़ेगा, हम कुछ समूह कंपनियों के लिए पब्लिक ऑफ़र सहित विभिन्न निवेश का पता लगाएंगे और रणनीतिक भागीदारों के साथ गठजोड़ करेंगे। 

उन्होंने कहा कि अभी बाजार में लिक्विडिटी बहुत है, लोन की दरें बहुत कम हैं। पूरी दुनिया में बहुत अधिक लिक्विडिटी है, तो अभी एक अच्छे व्यापार के लिए पूंजी की कोई कमी नहीं है। गुप्ता की योजना अगर साकार होती है तो भारत में भी स्टील सेक्टर में एक कंसोलिडेशन की लहर आ सकती है। भारत का स्टील सेक्टर इस समय बुरे दौर से गुजर रहा है। ऐसे में यहां निवेश के ज्यादा मौके हैं और सस्ते में बेहतरीन कंपनियों का अधिग्रहण किया जा सकता है।

 

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