कोरोना के बावजूद फर्स्ट ईयर प्रीमियम और पॉलिसी के मामले में एलआईसी ने बढ़ाई बाजार हिस्सेदारी
मुंबई- 23 मार्च से लॉकडाउन के चलते जहां पूरी आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ गई, वहीं देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने अपनी स्थिति और मजबूत की है। मार्च तिमाही में फर्स्ट ईयर प्रीमियम में इसकी बाजार हिस्सेदारी 68.74 प्रतिशत थी। जून तिमाही में यह बढ़कर 74.04 प्रतिशत हो गई है।
लाइफ इंश्योरेंस काउंसिल के आंकड़ों के मुताबिक मासिक आधार पर देखें तो अप्रैल में एलआईसी की पॉलिसियों के मामले में बाजार हिस्सेदारी 44.36 प्रतिशत थी जो मई में 62.11 प्रतिशत हो गई। जून में यह 65.71 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसी तरह फर्स्ट ईयर प्रीमियम में एलआईसी की बाजार हिस्सेदारी अप्रैल में 53.24 प्रतिशत, मई में 74.33 प्रतिशत और जून में 78.76 प्रतिशत पर पहुंच गई।
आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में कोरोना की वजह से एजेंट्स ने लॉकडाउन में काम घर से किया। इसकी वजह से बीमा कंपनियों के प्रदर्शन पर असर पड़ा है। हालांकि एलआईसी इस मामले में अपनी बाजार हिस्सेदारी को बनाई रखी है। 31 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की असेट्स वाली इस कंपनी में सरकार आईपीओ के जरिए हिस्सेदारी बेचना चाहती है। एलआईसी वैसे सालाना 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश करती है। इसमें से 55-60 हजार करोड़ रुपए इक्विटी बाजार में और बाकी सरकारी सिक्योरिटीज और अन्य डेट में होता है।
उधर इसकी तुलना करें तो बाकी निजी कंपनियों में से कोई भी कंपनी इसके दसवें हिस्से के बराबर भी नहीं पहुंच पाई है। आंकड़ों के अनुसार पॉलिसी के मामले में एचडीएफसी लाइफ की हिस्सेदारी 6.27 प्रतिशत रही है जबकि प्रीमियम में इसकी हिस्सेदारी 5.38 प्रतिशत रही है। एसबीआई लाइफ की हिस्सेदारी पॉलिसी में 6.11 प्रतिशत और प्रीमियम में 6.20 प्रतिशत रही है। इसी तरह मैक्स लाइफ की पॉलिसी में 3.94 प्रतिशत हिस्सेदारी रही है जबकि प्रीमियम में इसकी हिस्सेदारी 1.82 प्रतिशत रही है।
कोई भी कंपनी 7 प्रतिशत से ऊपर नहीं पहुंच पाई
आंकड़ों के मुताबिक, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ की पॉलिसी के मामले में बाजार हिस्सेदारी 3.91 प्रतिशत रही है जबकि प्रीमियम में यह 3.04 प्रतिशत बाजार पर काबिज रही है। टाटा लाइफ इंश्योरेंस की बाजार हिस्सेदारी पॉलिसी में 3.07 प्रतिशत रही है जबकि प्रीमियम में इसकी हिस्सेदारी 1.45 प्रतिशत रही है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले 20 सालों में इन कंपनियों में से कोई भी कंपनी 7 प्रतिशत के ऊपर बाजार की हिस्सेदारी नहीं ले पाई है।
देश में निजी बीमा कंपनियों के लिए दरवाजे खुलने के बाद अभी तक पिछले 20 सालों में किसी भी कंपनी की 10 प्रतिशत की भी बाजार हिस्सेदारी नहीं मिली है। बता दें कि कोरोना के कारण बीमा के साथ-साथ सभी कारोबार ठप रहे हैं। इस दौरान एलआईसी ने बीमा से संबंधित क्लेम के भुगतान के लिए ऑन लाइन सुविधा शुरू की थी। इसके साथ ही इसने पॉलिसी का प्रीमियम भरने के लिए पॉलिसीधारकों को मोहलत भी दिया था।