अमेजन, गूगल और फेसबुक का असर होगा कम, नई ई-कॉमर्स पॉलिसी ड्रॉफ्ट में स्थानीय स्टार्टअप्स को मदद करने जैसे कदम शामिल
मुंबई-देश में नई ई-कॉमर्स पॉलिसी के ड्रॉफ्ट में ऐसे कदम शामिल किए गए हैं जो स्थानीय स्टार्टअप्स की मदद कर सकते हैं। साथ ही कंपनियां डेटा को कैसे संभालती हैं, इस पर सरकारी निगरानी लागू कर सकते हैं। अमेजन डॉट कॉम इंक, अल्फाबेट इंक के गूगल और फेसबुक इंक जैसे वैश्विक टेक्नोलॉजी दिग्गजों के असर को कम करने के लिए सरकार कम से दो साल से इस नीति पर काम कर रही है।
15 पेज के ड्रॉफ्ट में निर्धारित नियमों के तहत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए एक ई-कॉमर्स रेगुलेटर नियुक्त करेगी कि उद्योग सूचना संसाधनों तक पहुंच के साथ प्रतिस्पर्धी बने। उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कॉमर्स मंत्रालय द्वारा इस पॉलिसी ड्रॉफ्ट को तैयार किया गया है।
प्रस्तावित नियमों में ऑनलाइन कंपनियों के सोर्स कोड और एल्गोरिदम तक सरकार का एक्सेस होगा। भारत की तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था में 50 करोड़ यूजर्स हैं। इसमें तेजी से इजाफा हो रहा है। यह ऑनलाइन खुदरा और कंटेंट स्ट्रीमिंग से लेकर मैसेज और डिजिटल भुगतान तक हर चीज में अपना वर्चस्व स्थापित कर रही है। ग्लोबल कॉरपोरेशन इन क्षेत्रों में से प्रत्येक में लीड कर रहे हैं। जबकि स्थानीय स्टार्टअप्स सरकारी मदद के भरोसे बैठे हैं। गौरतलब है कि हाल ही में चीनी टेक्नोलॉजी दिग्गजों द्वारा समर्थित दर्जनों ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
डेटा कहां रखा जाता है, इसके मुद्दे पर ड्रॉफ्ट यह बताता है कि किस ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों को स्थानीय स्तर पर जानकारी रखनी होगी। विदेशों में डेटा होस्टिंग करना पिछले ड्रॉफ्ट में एक विवादित मसला रहा है। इसकी यह कह कर आलोचना हुई कि सरकार स्थानीय स्टार्टअप्स को सहायता देने के बजाय विदेशी कंपनियों पर ज्यादा भरोसा दिखा रही है। ई-कॉमर्स कंपनियों को 72 घंटे के भीतर सरकार को डेटा उपलब्ध कराना जरूरी होगा, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, टैक्सेशन और कानून व्यवस्था से जुड़ी जानकारी शामिल हो सकती है।
ड्रॉफ्ट पॉलिसी में यह भी कहा गया है कि ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों को ग्राहकों को फोन नंबर, ग्राहक शिकायत संपर्क, ईमेल और पते सहित विक्रेताओं का डिटेल्स प्रदान करना आवश्यक होगा। पॉलिसी में कहा गया है कि इंपोर्टेड सामानों के बारे में भी खुलासा करना होगा।